अस-साफ्फ़ात
فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ127
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ128
अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ129
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ130
कि "सलाम है इलयास पर!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ131
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ132
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ133
और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था
إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ134
याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,
إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ135
सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ136
फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया
وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ137
और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए
وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ138
और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ139
और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था
إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ140
याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,
فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ141
फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई
فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ142
फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।
فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ143
अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता
لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ144
तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।
فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ145
अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।
وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ146
हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था
وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ147
और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा
فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ148
फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।
فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ149
अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?
أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ150
क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?"
أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ151
सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है
وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ152
कि "अल्लाह के औलाद हुई है!" निश्चय ही वे झूठे है।
أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ153
क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?