अस-साफ्फ़ात
مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ25
"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?"
بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ26
बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए है
وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ27
वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे,
قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ28
"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)"
قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ29
वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे
وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ30
और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे
فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ31
अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मजा़ चखना ही होगा
فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ32
सो हमने तुम्हे बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।"
فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ33
अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ34
हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते है
إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ35
उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं हैं।" तो वे घमंड में आ जाते थे
وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ36
और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?"
بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ37
"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि॥ में है।
إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ38
निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। -
وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ39
"तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।"
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ40
अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
أُولَـٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ41
वही लोग है जिनके लिए जानी-बूझी रोज़ी है,
فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ42
स्वादिष्ट फल।
فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ43
और वे नेमत भरी जन्नतों
عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ44
में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे;
يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ45
उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा,
بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ46
बिलकुल साफ़, उज्जवल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु
لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ47
न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे।
وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ48
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी,
كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ49
मानो वे सुरक्षित अंडे है
فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ50
फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे
قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ51
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था;