अल-वाकिया
ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا الضَّالُّونَ الْمُكَذِّبُونَ51
"फिर तुम ऐ गुमराहो, झुठलानेवालो!
لَآكِلُونَ مِنْ شَجَرٍ مِنْ زَقُّومٍ52
ज़क्कूम के वृक्ष में से खाओंगे;
فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ53
"और उसी से पेट भरोगे;
فَشَارِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ الْحَمِيمِ54
"और उसके ऊपर से खौलता हुआ पानी पीओगे;
فَشَارِبُونَ شُرْبَ الْهِيمِ55
"और तौस लगे ऊँट की तरह पीओगे।"
هَـٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ الدِّينِ56
यह बदला दिए जाने के दिन उनका पहला सत्कार होगा
نَحْنُ خَلَقْنَاكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ57
हमने तुम्हें पैदा किया; फिर तुम सच क्यों नहीं मानते?
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تُمْنُونَ58
तो क्या तुमने विचार किया जो चीज़ तुम टपकाते हो?
أَأَنْتُمْ تَخْلُقُونَهُ أَمْ نَحْنُ الْخَالِقُونَ59
क्या तुम उसे आकार देते हो, या हम है आकार देनेवाले?
نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ60
हमने तुम्हारे बीच मृत्यु को नियत किया है और हमारे बस से यह बाहर नहीं है
عَلَىٰ أَنْ نُبَدِّلَ أَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِي مَا لَا تَعْلَمُونَ61
कि हम तुम्हारे जैसों को बदल दें और तुम्हें ऐसी हालत में उठा खड़ा करें जिसे तुम जानते नहीं
وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْأَةَ الْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ62
तुम तो पहली पैदाइश को जान चुके हो, फिर तुम ध्यान क्यों नहीं देते?
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تَحْرُثُونَ63
फिर क्या तुमने देखा तो कुछ तुम खेती करते हो?
أَأَنْتُمْ تَزْرَعُونَهُ أَمْ نَحْنُ الزَّارِعُونَ64
क्या उसे तुम उगाते हो या हम उसे उगाते है?
لَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَاهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ65
यदि हम चाहें तो उसे चूर-चूर कर दें। फिर तुम बातें बनाते रह जाओ
إِنَّا لَمُغْرَمُونَ66
कि "हमपर उलटा डाँड पड़ गया,
بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ67
बल्कि हम वंचित होकर रह गए!"
أَفَرَأَيْتُمُ الْمَاءَ الَّذِي تَشْرَبُونَ68
फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो?
أَأَنْتُمْ أَنْزَلْتُمُوهُ مِنَ الْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُونَ69
क्या उसे बादलों से तुमने पानी बरसाया या बरसानेवाले हम है?
لَوْ نَشَاءُ جَعَلْنَاهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ70
यदि हम चाहें तो उसे अत्यन्त खारा बनाकर रख दें। फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते?
أَفَرَأَيْتُمُ النَّارَ الَّتِي تُورُونَ71
फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो?
أَأَنْتُمْ أَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَا أَمْ نَحْنُ الْمُنْشِئُونَ72
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है?
نَحْنُ جَعَلْنَاهَا تَذْكِرَةً وَمَتَاعًا لِلْمُقْوِينَ73
हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ74
अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो
فَلَا أُقْسِمُ بِمَوَاقِعِ النُّجُومِ75
अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की -
وَإِنَّهُ لَقَسَمٌ لَوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ76
और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो -