अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन
كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٍ7
कुछ नहीं, निश्चय ही दुराचारियों का काग़ज 'सिज्जीन' में है
وَمَا أَدْرَاكَ مَا سِجِّينٌ8
तुम्हें क्या मालूम कि 'सिज्जीन' क्या हैं?
كِتَابٌ مَرْقُومٌ9
मुहर लगा हुआ काग़ज
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ10
तबाही है उस दिन झुठलाने-वालों की,
الَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ11
जो बदले के दिन को झुठलाते है
وَمَا يُكَذِّبُ بِهِ إِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ12
और उसे तो बस प्रत्येक वह क्यक्ति ही झूठलाता है जो सीमा का उल्लंघन करनेवाला, पापी है
إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ13
जब हमारी आयतें उसे सुनाई जाती है तो कहता है, "ये तो पहले की कहानियाँ है।"
كَلَّا ۖ بَلْ ۜ رَانَ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ مَا كَانُوا يَكْسِبُونَ14
कुछ नहीं, बल्कि जो कुछ वे कमाते रहे है वह उनके दिलों पर चढ़ गया है
كَلَّا إِنَّهُمْ عَنْ رَبِّهِمْ يَوْمَئِذٍ لَمَحْجُوبُونَ15
कुछ नहीं, अवश्य ही वे उस दिन अपने रब से ओट में होंगे,
ثُمَّ إِنَّهُمْ لَصَالُو الْجَحِيمِ16
फिर वे भड़कती आग में जा पड़ेगे
ثُمَّ يُقَالُ هَـٰذَا الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ17
फिर कहा जाएगा, "यह वही है जिस तुम झुठलाते थे"
كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْأَبْرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ18
कुछ नही, निस्संदेह वफ़ादार लोगों का काग़ज़ 'इल्लीयीन' (उच्च श्रेणी के लोगों) में है।-
وَمَا أَدْرَاكَ مَا عِلِّيُّونَ19
और तुम क्या जानो कि 'इल्लीयीन' क्या है? -
كِتَابٌ مَرْقُومٌ20
लिखा हुआ रजिस्टर
يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ21
जिसे देखने के लिए सामीप्य प्राप्त लोग उपस्थित होंगे,
إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ22
निस्संदेह अच्छे लोग नेमतों में होंगे,
عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ23
ऊँची मसनदों पर से देख रहे होंगे
تَعْرِفُ فِي وُجُوهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيمِ24
उनके चहरों से तुम्हें नेमतों की ताज़गी और आभा को बोध हो रहा होगा,
يُسْقَوْنَ مِنْ رَحِيقٍ مَخْتُومٍ25
उन्हें मुहरबंद विशुद्ध पेय पिलाया जाएगा,
خِتَامُهُ مِسْكٌ ۚ وَفِي ذَٰلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُونَ26
मुहर उसकी मुश्क ही होगी - जो लोग दूसरी पर बाज़ी ले जाना चाहते हो वे इस चीज़ को प्राप्त करने में बाज़ी ले जाने का प्रयास करे -
وَمِزَاجُهُ مِنْ تَسْنِيمٍ27
और उसमें 'तसनीम' का मिश्रण होगा,
عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُونَ28
हाल यह है कि वह एक स्रोत है, जिसपर बैठकर सामीप्य प्राप्त लोग पिएँगे
إِنَّ الَّذِينَ أَجْرَمُوا كَانُوا مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا يَضْحَكُونَ29
जो अपराधी है वे ईमान लानेवालों पर हँसते थे,
وَإِذَا مَرُّوا بِهِمْ يَتَغَامَزُونَ30
और जब उनके पास से गुज़रते तो आपस में आँखों और भौंहों से इशारे करते थे,
وَإِذَا انْقَلَبُوا إِلَىٰ أَهْلِهِمُ انْقَلَبُوا فَكِهِينَ31
और जब अपने लोगों की ओर पलटते है तो चहकते, इतराते हुए पलटते थे,
وَإِذَا رَأَوْهُمْ قَالُوا إِنَّ هَـٰؤُلَاءِ لَضَالُّونَ32
और जब उन्हें देखते तो कहते, "ये तो भटके हुए है।"
وَمَا أُرْسِلُوا عَلَيْهِمْ حَافِظِينَ33
हालाँकि वे उनपर कोई निगरानी करनेवाले बनाकर नहीं भेजे गए थे
فَالْيَوْمَ الَّذِينَ آمَنُوا مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُونَ34
तो आज ईमान लानेवाले, इनकार करनेवालों पर हँस रहे हैं,