हामीम अस-सजदा
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
حم1
हा॰ मीम॰
تَنْزِيلٌ مِنَ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ2
यह अवतरण है बड़े कृपाशील, अत्यन्त दयावान की ओर से,
كِتَابٌ فُصِّلَتْ آيَاتُهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ3
एक किताब, जिसकी आयतें खोल-खोलकर बयान हुई है; अरबी क़ुरआन के रूप में, उन लोगों के लिए जो जानना चाहें;
بَشِيرًا وَنَذِيرًا فَأَعْرَضَ أَكْثَرُهُمْ فَهُمْ لَا يَسْمَعُونَ4
शुभ सूचक एवं सचेतकर्त्ता किन्तु उनमें से अधिकतर कतरा गए तो वे सुनते ही नहीं
وَقَالُوا قُلُوبُنَا فِي أَكِنَّةٍ مِمَّا تَدْعُونَا إِلَيْهِ وَفِي آذَانِنَا وَقْرٌ وَمِنْ بَيْنِنَا وَبَيْنِكَ حِجَابٌ فَاعْمَلْ إِنَّنَا عَامِلُونَ5
और उनका कहना है कि "जिसकी ओर तुम हमें बुलाते हो उसके लिए तो हमारे दिल आवरणों में है। और हमारे कानों में बोझ है। और हमारे और तुम्हारे बीच एक ओट है; अतः तुम अपना काम करो, हम तो अपना काम करते है।"
قُلْ إِنَّمَا أَنَا بَشَرٌ مِثْلُكُمْ يُوحَىٰ إِلَيَّ أَنَّمَا إِلَـٰهُكُمْ إِلَـٰهٌ وَاحِدٌ فَاسْتَقِيمُوا إِلَيْهِ وَاسْتَغْفِرُوهُ ۗ وَوَيْلٌ لِلْمُشْرِكِينَ6
कह दो, "मैं तो तुम्हीं जैसा मनुष्य हूँ। मेरी ओर प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः तुम सीधे उसी का रुख करो और उसी से क्षमा-याचना करो - साझी ठहरानेवालों के लिए तो बड़ी तबाही है,
الَّذِينَ لَا يُؤْتُونَ الزَّكَاةَ وَهُمْ بِالْآخِرَةِ هُمْ كَافِرُونَ7
जो ज़कात नहीं देते और वही है जो आख़िरत का इनकार करते है। -
إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ8
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके लिए ऐसा बदला है जिसका क्रम टूटनेवाला नहीं।"
قُلْ أَئِنَّكُمْ لَتَكْفُرُونَ بِالَّذِي خَلَقَ الْأَرْضَ فِي يَوْمَيْنِ وَتَجْعَلُونَ لَهُ أَنْدَادًا ۚ ذَٰلِكَ رَبُّ الْعَالَمِينَ9
कहो, "क्या तुम उसका इनकार करते हो, जिसने धरती को दो दिनों (काल) में पैदा किया और तुम उसके समकक्ष ठहराते हो? वह तो सारे संसार का रब है
وَجَعَلَ فِيهَا رَوَاسِيَ مِنْ فَوْقِهَا وَبَارَكَ فِيهَا وَقَدَّرَ فِيهَا أَقْوَاتَهَا فِي أَرْبَعَةِ أَيَّامٍ سَوَاءً لِلسَّائِلِينَ10
और उसने उस (धरती) में उसके ऊपर से पहाड़ जमाए और उसमें बरकत रखी और उसमें उसकी ख़ुराकों को ठीक अंदाज़े से रखा। माँग करनेवालों के लिए समान रूप से यह सब चार दिन में हुआ
ثُمَّ اسْتَوَىٰ إِلَى السَّمَاءِ وَهِيَ دُخَانٌ فَقَالَ لَهَا وَلِلْأَرْضِ ائْتِيَا طَوْعًا أَوْ كَرْهًا قَالَتَا أَتَيْنَا طَائِعِينَ11
फिर उसने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह मात्र धुआँ था- और उसने उससे और धरती से कहा, 'आओ, स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ।' उन्होंने कहा, 'हम स्वेच्छा के साथ आए।' -