अल-अनाम
وَمَا عَلَى الَّذِينَ يَتَّقُونَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِنْ شَيْءٍ وَلَـٰكِنْ ذِكْرَىٰ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ69
उनके हिसाब के प्रति तो उन लोगो पर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं, जो डर रखते है। यदि है तो बस याद दिलाने की; ताकि वे डरें
وَذَرِ الَّذِينَ اتَّخَذُوا دِينَهُمْ لَعِبًا وَلَهْوًا وَغَرَّتْهُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا ۚ وَذَكِّرْ بِهِ أَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌ بِمَا كَسَبَتْ لَيْسَ لَهَا مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلِيٌّ وَلَا شَفِيعٌ وَإِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَا يُؤْخَذْ مِنْهَا ۗ أُولَـٰئِكَ الَّذِينَ أُبْسِلُوا بِمَا كَسَبُوا ۖ لَهُمْ شَرَابٌ مِنْ حَمِيمٍ وَعَذَابٌ أَلِيمٌ بِمَا كَانُوا يَكْفُرُونَ70
छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग है, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे
قُلْ أَنَدْعُو مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَنْفَعُنَا وَلَا يَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلَىٰ أَعْقَابِنَا بَعْدَ إِذْ هَدَانَا اللَّهُ كَالَّذِي اسْتَهْوَتْهُ الشَّيَاطِينُ فِي الْأَرْضِ حَيْرَانَ لَهُ أَصْحَابٌ يَدْعُونَهُ إِلَى الْهُدَى ائْتِنَا ۗ قُلْ إِنَّ هُدَى اللَّهِ هُوَ الْهُدَىٰ ۖ وَأُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ71
कहो, "क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है? - उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हो, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हो कि हमारे पास चला आ!" कह दो, "मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।"
وَأَنْ أَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَاتَّقُوهُ ۚ وَهُوَ الَّذِي إِلَيْهِ تُحْشَرُونَ72
और यह कि "नमाज़ क़ायम करो और उसका डर रखो। वही है, जिसके पास तुम इकट्ठे किए जाओगे,
وَهُوَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ ۖ وَيَوْمَ يَقُولُ كُنْ فَيَكُونُ ۚ قَوْلُهُ الْحَقُّ ۚ وَلَهُ الْمُلْكُ يَوْمَ يُنْفَخُ فِي الصُّورِ ۚ عَالِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ ۚ وَهُوَ الْحَكِيمُ الْخَبِيرُ73
"और वही है जिसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया। और जिस समय वह किसी चीज़ को कहे, 'हो जा', तो वह उसी समय वह हो जाती है। उसकी बात सर्वथा सत्य है और जिस दिन 'सूर' (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, राज्य उसी का होगा। वह सभी छिपी और खुली चीज़ का जाननेवाला है, और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।"