अल-आदियात
وَحُصِّلَ مَا فِي الصُّدُورِ10
और स्पष्ट अनावृत्त कर दिया जाएगा तो कुछ सीनों में है
إِنَّ رَبَّهُمْ بِهِمْ يَوْمَئِذٍ لَخَبِيرٌ11
निस्संदेह उनका रब उस दिन उनकी पूरी ख़बर रखता होगा
अल-क़ारिया
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الْقَارِعَةُ1
वह खड़खड़ानेवाली!
مَا الْقَارِعَةُ2
क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْقَارِعَةُ3
और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
يَوْمَ يَكُونُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوثِ4
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतंगों के सदृश हो जाएँगें,
وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوشِ5
और पहाड़ के धुन के हुए रंग-बिरंग के ऊन जैसे हो जाएँगे
فَأَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ6
फिर जिस किसी के वज़न भारी होंगे,
فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ7
वह मनभाते जीवन में रहेगा
وَأَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ8
और रहा वह व्यक्ति जिसके वज़न हलके होंगे,
فَأُمُّهُ هَاوِيَةٌ9
उसकी माँ होगी गहरा खड्ड
وَمَا أَدْرَاكَ مَا هِيَهْ10
और तुम्हें क्या मालूम कि वह क्या है?
نَارٌ حَامِيَةٌ11
आग है दहकती हुई
अत-तकासुर
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ1
तुम्हें एक-दूसरे के मुक़ाबले में बहुतायत के प्रदर्शन और घमंड ने ग़फ़़लत में डाल रखा है,
حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ2
यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तानों में पहुँच गए
كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ3
कुछ नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे
ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ4
फिर, कुछ नहीं, तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा -
كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ5
कुछ नहीं, अगर तुम विश्वसनीय ज्ञान के रूप में जान लो! (तो तुम धन-दौलत के पुजारी न बनो) -
لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ6
अवश्य ही तुम भड़कती आग से दो-चार होगे
ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ7
फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा
ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ8
फिर निश्चय ही उस दिन तुमसे नेमतों के बारे में पूछा जाएगा