अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन
عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ35
ऊँची मसनदों पर से देख रहे है
هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ36
क्या मिल गया बदला इनकार करनेवालों को उसका जो कुछ वे करते रहे है?
अल-इन्शिकाक़
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
إِذَا السَّمَاءُ انْشَقَّتْ1
जबकि आकाश फट जाएगा,
وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ2
और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी
وَإِذَا الْأَرْضُ مُدَّتْ3
जब धरती फैला दी जाएगी
وَأَلْقَتْ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتْ4
और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी
وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ5
और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी
يَا أَيُّهَا الْإِنْسَانُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدْحًا فَمُلَاقِيهِ6
ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है
فَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِيَمِينِهِ7
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया,
فَسَوْفَ يُحَاسَبُ حِسَابًا يَسِيرًا8
तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा
وَيَنْقَلِبُ إِلَىٰ أَهْلِهِ مَسْرُورًا9
और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा
وَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ وَرَاءَ ظَهْرِهِ10
और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया,
فَسَوْفَ يَدْعُو ثُبُورًا11
तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा,
وَيَصْلَىٰ سَعِيرًا12
और दहकती आग में जा पड़ेगा
إِنَّهُ كَانَ فِي أَهْلِهِ مَسْرُورًا13
वह अपने लोगों में मग्न था,
إِنَّهُ ظَنَّ أَنْ لَنْ يَحُورَ14
उसने यह समझ रखा था कि उसे कभी पलटना नहीं है
بَلَىٰ إِنَّ رَبَّهُ كَانَ بِهِ بَصِيرًا15
क्यों नहीं, निश्चय ही उसका रब तो उसे देख रहा था!
فَلَا أُقْسِمُ بِالشَّفَقِ16
अतः कुछ नहीं, मैं क़सम खाता हूँ सांध्य-लालिमा की,
وَاللَّيْلِ وَمَا وَسَقَ17
और रात की और उसके समेट लेने की,
وَالْقَمَرِ إِذَا اتَّسَقَ18
और चन्द्रमा की जबकि वह पूर्ण हो जाता है,
لَتَرْكَبُنَّ طَبَقًا عَنْ طَبَقٍ19
निश्चय ही तुम्हें मंजिल पर मंजिल चढ़ना है
فَمَا لَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ20
फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते?
وَإِذَا قُرِئَ عَلَيْهِمُ الْقُرْآنُ لَا يَسْجُدُونَ ۩21
और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते?
بَلِ الَّذِينَ كَفَرُوا يُكَذِّبُونَ22
नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है,
وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يُوعُونَ23
हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है
فَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ24
अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ25
अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है