फ़ातिर
وَإِنْ يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِنْ قَبْلِكَ ۚ وَإِلَى اللَّهِ تُرْجَعُ الْأُمُورُ4
और यदि वे तुम्हें झुठलाते तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है। सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते हैं
يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ ۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا ۖ وَلَا يَغُرَّنَّكُمْ بِاللَّهِ الْغَرُورُ5
ऐ लोगों! निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें धोखे में न डाले और न वह धोखेबाज़ अल्लाह के विषय में तुम्हें धोखा दे
إِنَّ الشَّيْطَانَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَاتَّخِذُوهُ عَدُوًّا ۚ إِنَّمَا يَدْعُو حِزْبَهُ لِيَكُونُوا مِنْ أَصْحَابِ السَّعِيرِ6
निश्चय ही शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे शत्रु ही समझो। वह तो अपने गिरोह को केवल इसी लिए बुला रहा है कि वे दहकती आगवालों में सम्मिलित हो जाएँ
الَّذِينَ كَفَرُوا لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۖ وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ مَغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ7
वे लोग है कि जिन्होंने इनकार किया उनके लिए कठोर यातना है। किन्तु जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है
أَفَمَنْ زُيِّنَ لَهُ سُوءُ عَمَلِهِ فَرَآهُ حَسَنًا ۖ فَإِنَّ اللَّهَ يُضِلُّ مَنْ يَشَاءُ وَيَهْدِي مَنْ يَشَاءُ ۖ فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرَاتٍ ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ بِمَا يَصْنَعُونَ8
फिर क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसका बुरा कर्म सुहाना बना दिया गया हो और वह उसे अच्छा दिख रहा हो (तो क्या वह बुराई को छोड़ेगा)? निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग से वंचित रखता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। अतः उनपर अफ़सोस करते-करते तुम्हारी जान न जाती रहे। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे रच रहे है
وَاللَّهُ الَّذِي أَرْسَلَ الرِّيَاحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَاهُ إِلَىٰ بَلَدٍ مَيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ كَذَٰلِكَ النُّشُورُ9
अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है
مَنْ كَانَ يُرِيدُ الْعِزَّةَ فَلِلَّهِ الْعِزَّةُ جَمِيعًا ۚ إِلَيْهِ يَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّيِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ يَرْفَعُهُ ۚ وَالَّذِينَ يَمْكُرُونَ السَّيِّئَاتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۖ وَمَكْرُ أُولَـٰئِكَ هُوَ يَبُورُ10
जो कोई प्रभुत्व चाहता हो तो प्रभुत्व तो सारा का सारा अल्लाह के लिए है। उसी की ओर अच्छा-पवित्र बोल चढ़ता है और अच्छा कर्म उसे ऊँचा उठाता है। रहे वे लोग जो बुरी चालें चलते है, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चालबाज़ी मटियामेट होकर रहेगी
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَاجًا ۚ وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنْثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِ ۚ وَمَا يُعَمَّرُ مِنْ مُعَمَّرٍ وَلَا يُنْقَصُ مِنْ عُمُرِهِ إِلَّا فِي كِتَابٍ ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ11
अल्लाह ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और जो कोई आयु को प्राप्ति करनेवाला आयु को प्राप्त करता है और जो कुछ उसकी आयु में कमी होती है। अनिवार्यतः यह सब एक किताब में लिखा होता है। निश्चय ही यह सब अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है