अल-वाकिया
إِنَّهُ لَقُرْآنٌ كَرِيمٌ77
निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है
فِي كِتَابٍ مَكْنُونٍ78
एक सुरक्षित किताब में अंकित है।
لَا يَمَسُّهُ إِلَّا الْمُطَهَّرُونَ79
उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है
تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ80
उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है।
أَفَبِهَـٰذَا الْحَدِيثِ أَنْتُمْ مُدْهِنُونَ81
फिर क्या तुम उस वाणी के प्रति उपेक्षा दर्शाते हो?
وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ82
और तुम इसको अपनी वृत्ति बना रहे हो कि झुठलाते हो?
فَلَوْلَا إِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُومَ83
फिर ऐसा क्यों नहीं होता, जबकि प्राण कंठ को आ लगते है
وَأَنْتُمْ حِينَئِذٍ تَنْظُرُونَ84
और उस समय तुम देख रहे होते हो -
وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْكُمْ وَلَـٰكِنْ لَا تُبْصِرُونَ85
और हम तुम्हारी अपेक्षा उससे अधिक निकट होते है। किन्तु तुम देखते नहीं –
فَلَوْلَا إِنْ كُنْتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ86
फिर ऐसा क्यों नहीं होता कि यदि तुम अधीन नहीं हो
تَرْجِعُونَهَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ87
तो उसे (प्राण को) लौटा दो, यदि तुम सच्चे हो
فَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِينَ88
फिर यदि वह (अल्लाह के) निकटवर्तियों में से है;
فَرَوْحٌ وَرَيْحَانٌ وَجَنَّتُ نَعِيمٍ89
तो (उसके लिए) आराम, सुख-सामग्री और सुगंध है, और नेमतवाला बाग़ है
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ90
और यदि वह भाग्यशालियों में से है,
فَسَلَامٌ لَكَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ91
तो "सलाम है तुम्हें कि तुम सौभाग्यशाली में से हो।"
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِينَ الضَّالِّينَ92
किन्तु यदि वह झुठलानेवालों, गुमराहों में से है;
فَنُزُلٌ مِنْ حَمِيمٍ93
तो उसका पहला सत्कार खौलते हुए पानी से होगा
وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ94
फिर भड़कती हुई आग में उन्हें झोंका जाना है
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْيَقِينِ95
निस्संदेह यही विश्वसनीय सत्य है
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ96
अतः तुम अपने महान रब की तसबीह करो
अल-हदीद
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ1
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वशाली है
لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ يُحْيِي وَيُمِيتُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ2
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। वही जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
هُوَ الْأَوَّلُ وَالْآخِرُ وَالظَّاهِرُ وَالْبَاطِنُ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ3
वही आदि है और अन्त भी और वही व्यक्त है और अव्यक्त भी। और वह हर चीज़ को जानता है