अल-क़मर
وَمَا أَمْرُنَا إِلَّا وَاحِدَةٌ كَلَمْحٍ بِالْبَصَرِ50
और हमारा आदेश (और काम) तो बस एक दम की बात होती है जैसे आँख का झपकना
وَلَقَدْ أَهْلَكْنَا أَشْيَاعَكُمْ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ51
और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
وَكُلُّ شَيْءٍ فَعَلُوهُ فِي الزُّبُرِ52
जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है
وَكُلُّ صَغِيرٍ وَكَبِيرٍ مُسْتَطَرٌ53
और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَنَهَرٍ54
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ो और नहरों के बीच होंगे,
فِي مَقْعَدِ صِدْقٍ عِنْدَ مَلِيكٍ مُقْتَدِرٍ55
प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट
अर-रहमान
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الرَّحْمَـٰنُ1
रहमान ने
عَلَّمَ الْقُرْآنَ2
क़ुरआन सिखाया;
خَلَقَ الْإِنْسَانَ3
उसी ने मनुष्य को पैदा किया;
عَلَّمَهُ الْبَيَانَ4
उसे बोलना सिखाया;
الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ5
सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द है;
وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ6
और तारे और वृक्ष सजदा करते है;
وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ7
उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया -
أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ8
कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो
وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ9
न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। -
وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ10
और धरती को उसने सृष्टल प्राणियों के लिए बनाया;
فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ11
उसमें स्वादिष्ट फल है और खजूर के वृक्ष है, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए है,
وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ12
और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ13
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
خَلَقَ الْإِنْسَانَ مِنْ صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ14
उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुए मिट्टी से पैदा किया;
وَخَلَقَ الْجَانَّ مِنْ مَارِجٍ مِنْ نَارٍ15
और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ16
फिर तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?