अन-नमल
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا إِلَىٰ ثَمُودَ أَخَاهُمْ صَالِحًا أَنِ اعْبُدُوا اللَّهَ فَإِذَا هُمْ فَرِيقَانِ يَخْتَصِمُونَ45
और समूद की ओर हमने उनके भाई सालेह को भेजा कि "अल्लाह की बन्दगी करो।" तो क्या देखते है कि वे दो गिरोह होकर आपस में झगड़ने लगे
قَالَ يَا قَوْمِ لِمَ تَسْتَعْجِلُونَ بِالسَّيِّئَةِ قَبْلَ الْحَسَنَةِ ۖ لَوْلَا تَسْتَغْفِرُونَ اللَّهَ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ46
उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों, तुम भलाई से पहले बुराई के लिए क्यों जल्दी मचा रहे हो? तुम अल्लाह से क्षमा याचना क्यों नहीं करते? कदाचित तुमपर दया की जाए।"
قَالُوا اطَّيَّرْنَا بِكَ وَبِمَنْ مَعَكَ ۚ قَالَ طَائِرُكُمْ عِنْدَ اللَّهِ ۖ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ تُفْتَنُونَ47
उन्होंने कहा, "हमने तुम्हें और तुम्हारे साथवालों को अपशकुन पाया है।" उसने कहा, "तुम्हारा शकुन-अपशकुन तो अल्लाह के पास है, बल्कि बात यह है कि तुम लोग आज़माए जा रहे हो।"
وَكَانَ فِي الْمَدِينَةِ تِسْعَةُ رَهْطٍ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ48
नगर में नौ जत्थेदार थे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते थे, सुधार का काम नहीं करते थे
قَالُوا تَقَاسَمُوا بِاللَّهِ لَنُبَيِّتَنَّهُ وَأَهْلَهُ ثُمَّ لَنَقُولَنَّ لِوَلِيِّهِ مَا شَهِدْنَا مَهْلِكَ أَهْلِهِ وَإِنَّا لَصَادِقُونَ49
वे आपस में अल्लाह की क़समें खाकर बोले, "हम अवश्य उसपर और उसके घरवालों पर रात को छापा मारेंगे। फिर उसके वली (परिजन) से कह देंगे कि हम उसके घरवालों के विनाश के अवसर पर मौजूद न थे। और हम बिलकुल सच्चे है।"
وَمَكَرُوا مَكْرًا وَمَكَرْنَا مَكْرًا وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ50
वे एक चाल चले और हमने भी एक चाल चली और उन्हें ख़बर तक न हुई
فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ مَكْرِهِمْ أَنَّا دَمَّرْنَاهُمْ وَقَوْمَهُمْ أَجْمَعِينَ51
अब देख लो, उनकी चाल का कैसा परिणाम हुआ! हमने उन्हें और उनकी क़ौम - सबको विनष्ट करके रख दिया
فَتِلْكَ بُيُوتُهُمْ خَاوِيَةً بِمَا ظَلَمُوا ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ52
अब ये उनके घर उनके ज़ुल्म के कारण उजडें पड़े हुए है। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है उन लोगों के लिए जो जानना चाहें
وَأَنْجَيْنَا الَّذِينَ آمَنُوا وَكَانُوا يَتَّقُونَ53
और हमने उन लोगों को बचा लिया, जो ईमान लाए और डर रखते थे
وَلُوطًا إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَتَأْتُونَ الْفَاحِشَةَ وَأَنْتُمْ تُبْصِرُونَ54
और लूत को भी भेजा, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम आँखों देखते हुए अश्लील कर्म करते हो?
أَئِنَّكُمْ لَتَأْتُونَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِنْ دُونِ النِّسَاءِ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُونَ55
क्या तुम स्त्रियों को छोड़कर अपनी काम-तृप्ति के लिए पुरुषों के पास जाते हो? बल्कि बात यह है कि तुम बड़े ही जाहिल लोग हो।"