हूद
قَالَ يَا نُوحُ إِنَّهُ لَيْسَ مِنْ أَهْلِكَ ۖ إِنَّهُ عَمَلٌ غَيْرُ صَالِحٍ ۖ فَلَا تَسْأَلْنِ مَا لَيْسَ لَكَ بِهِ عِلْمٌ ۖ إِنِّي أَعِظُكَ أَنْ تَكُونَ مِنَ الْجَاهِلِينَ46
कहा, "ऐ नूह! वह तेरे घरवालों में से नहीं, वह तो सर्वथा एक बिगड़ा काम है। अतः जिसका तुझे ज्ञान नहीं, उसके विषय में मुझसे न पूछ, तेरे नादान हो जाने की आशंका से मैं तुझे नसीहत करता हूँ।"
قَالَ رَبِّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ أَنْ أَسْأَلَكَ مَا لَيْسَ لِي بِهِ عِلْمٌ ۖ وَإِلَّا تَغْفِرْ لِي وَتَرْحَمْنِي أَكُنْ مِنَ الْخَاسِرِينَ47
उसने कहा, "मेरे रब! मैं इससे तेरी पनाह माँगता हूँ कि तुझसे उस चीज़ का सवाल करूँ जिसका मुझे कोई ज्ञान न हो। अब यदि तूने मुझे क्षमा न किया और मुझपर दया न की, तो मैं घाटे में पड़कर रहूँगा।"
قِيلَ يَا نُوحُ اهْبِطْ بِسَلَامٍ مِنَّا وَبَرَكَاتٍ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ أُمَمٍ مِمَّنْ مَعَكَ ۚ وَأُمَمٌ سَنُمَتِّعُهُمْ ثُمَّ يَمَسُّهُمْ مِنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ48
कहा गया, "ऐ नूह! हमारी ओर से सलामती और उन बरकतों के साथ उतर, जो तुझपर और उन गिरोहों पर होगी, जो तेरे साथवालों में से होंगे। कुछ गिरोह ऐसे भी होंगे जिन्हें हम थोड़े दिनों का सुखोपभोग कराएँगे। फिर उन्हें हमारी ओर से दुखद यातना आ पहुँचेगी।"
تِلْكَ مِنْ أَنْبَاءِ الْغَيْبِ نُوحِيهَا إِلَيْكَ ۖ مَا كُنْتَ تَعْلَمُهَا أَنْتَ وَلَا قَوْمُكَ مِنْ قَبْلِ هَـٰذَا ۖ فَاصْبِرْ ۖ إِنَّ الْعَاقِبَةَ لِلْمُتَّقِينَ49
ये परोक्ष की ख़बरें हैं जिनकी हम तुम्हारी ओर प्रकाशना कर रहे है। इससे पहले तो न तुम्हें इनकी ख़बर थी और न तुम्हारी क़ौम को। अतः धैर्य से काम लो। निस्संदेह अन्तिम परिणाम डर रखनेवालो के पक्ष में है
وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًا ۚ قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللَّهَ مَا لَكُمْ مِنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُ ۖ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا مُفْتَرُونَ50
और 'आद' की ओर उनके भाई 'हूद' को भेजा। उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य प्रभु नहीं। तुमने तो बस झूठ घड़ रखा हैं
يَا قَوْمِ لَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى الَّذِي فَطَرَنِي ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ51
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता। मेरा पारिश्रमिक तो बस उसके ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया। फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
وَيَا قَوْمِ اسْتَغْفِرُوا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوبُوا إِلَيْهِ يُرْسِلِ السَّمَاءَ عَلَيْكُمْ مِدْرَارًا وَيَزِدْكُمْ قُوَّةً إِلَىٰ قُوَّتِكُمْ وَلَا تَتَوَلَّوْا مُجْرِمِينَ52
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अपने रब से क्षमा याचना करो, फिर उसकी ओर पलट आओ। वह तुमपर आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ेगा और तुममें शक्ति पर शक्ति की अभिवृद्धि करेगा। तुम अपराधी बनकर मुँह न फेरो।"
قَالُوا يَا هُودُ مَا جِئْتَنَا بِبَيِّنَةٍ وَمَا نَحْنُ بِتَارِكِي آلِهَتِنَا عَنْ قَوْلِكَ وَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِينَ53
उन्होंने कहा, "ऐ हूद! तू हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लेकर नहीं आया है। तेरे कहने से हम अपने इष्ट -पूज्यों को नहीं छोड़ सकते और न हम तुझपर ईमान लानेवाले है