अज़-ज़ारियात
وَالسَّمَاءِ ذَاتِ الْحُبُكِ7
गवाह है धारियोंवाला आकाश।
إِنَّكُمْ لَفِي قَوْلٍ مُخْتَلِفٍ8
निश्चय ही तुम उस बात में पड़े हुए हो जिनमें कथन भिन्न-भिन्न है
يُؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ أُفِكَ9
इसमें कोई सरफिरा ही विमुख होता है
قُتِلَ الْخَرَّاصُونَ10
मारे जाएँ अटकल दौड़ानेवाले;
الَّذِينَ هُمْ فِي غَمْرَةٍ سَاهُونَ11
जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं भूले हुए
يَسْأَلُونَ أَيَّانَ يَوْمُ الدِّينِ12
पूछते है, "बदले का दिन कब आएगा?"
يَوْمَ هُمْ عَلَى النَّارِ يُفْتَنُونَ13
जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे,
ذُوقُوا فِتْنَتَكُمْ هَـٰذَا الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تَسْتَعْجِلُونَ14
"चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।"
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ15
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे
آخِذِينَ مَا آتَاهُمْ رَبُّهُمْ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُحْسِنِينَ16
जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया, वे उसे ले रहे होंगे। निस्संदेह वे इससे पहले उत्तमकारों में से थे
كَانُوا قَلِيلًا مِنَ اللَّيْلِ مَا يَهْجَعُونَ17
रातों को थोड़ा ही सोते थे,
وَبِالْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ18
और वही प्रातः की घड़ियों में क्षमा की प्रार्थना करते थे
وَفِي أَمْوَالِهِمْ حَقٌّ لِلسَّائِلِ وَالْمَحْرُومِ19
और उनके मालों में माँगनेवाले और धनहीन का हक़ था
وَفِي الْأَرْضِ آيَاتٌ لِلْمُوقِنِينَ20
और धरती में विश्वास करनेवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है,
وَفِي أَنْفُسِكُمْ ۚ أَفَلَا تُبْصِرُونَ21
और ,स्वयं तुम्हारे अपने आप में भी। तो क्या तुम देखते नहीं?
وَفِي السَّمَاءِ رِزْقُكُمْ وَمَا تُوعَدُونَ22
और आकाश मे ही तुम्हारी रोज़ी है और वह चीज़ भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है
فَوَرَبِّ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ إِنَّهُ لَحَقٌّ مِثْلَ مَا أَنَّكُمْ تَنْطِقُونَ23
अतः सौगन्ध है आकाश और धरती के रब की। निश्चय ही वह सत्य बात है ऐसे ही जैसे तुम बोलते हो
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ ضَيْفِ إِبْرَاهِيمَ الْمُكْرَمِينَ24
क्या इबराईम के प्रतिष्ठित अतिथियों का वृतान्त तुम तक पहँचा?
إِذْ دَخَلُوا عَلَيْهِ فَقَالُوا سَلَامًا ۖ قَالَ سَلَامٌ قَوْمٌ مُنْكَرُونَ25
जब वे उसके पास आए तो कहा, "सलाम है तुमपर!" उसने भी कहा, "सलाम है आप लोगों पर भी!" (और जी में कहा) "ये तो अपरिचित लोग हैं।"
فَرَاغَ إِلَىٰ أَهْلِهِ فَجَاءَ بِعِجْلٍ سَمِينٍ26
फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया और एक मोटा-ताज़ा बछड़ा (का भूना हुआ मांस) ले आया
فَقَرَّبَهُ إِلَيْهِمْ قَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ27
और उसे उनके सामने पेश किया। कहा, "क्या आप खाते नहीं?"
فَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةً ۖ قَالُوا لَا تَخَفْ ۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَامٍ عَلِيمٍ28
फिर उसने दिल में उनसे डर महसूस किया। उन्होंने कहा, "डरिए नहीं।" और उन्होंने उसे एक ज्ञानवान लड़के की मंगल-सूचना दी
فَأَقْبَلَتِ امْرَأَتُهُ فِي صَرَّةٍ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوزٌ عَقِيمٌ29
इसपर उसकी स्त्री (चकित होकर) आगे बढ़ी और उसने अपना मुँह पीट लिया और कहने लगी, "एक बूढ़ी बाँझ (के यहाँ बच्चा पैदा होगा)!"
قَالُوا كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ ۖ إِنَّهُ هُوَ الْحَكِيمُ الْعَلِيمُ30
उन्होंने कहा, "ऐसी ही तेरे रब ने कहा है। निश्चय ही वह बड़ा तत्वदर्शी, ज्ञानवान है।"