अज़-ज़ुमर
وَنُفِخَ فِي الصُّورِ فَصَعِقَ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَمَنْ فِي الْأَرْضِ إِلَّا مَنْ شَاءَ اللَّهُ ۖ ثُمَّ نُفِخَ فِيهِ أُخْرَىٰ فَإِذَا هُمْ قِيَامٌ يَنْظُرُونَ68
और सूर (नरसिंघा) फूँका जाएगा, तो जो कोई आकाशों और जो कोई धरती में होगा वह अचेत हो जाएगा सिवाय उसके जिसको अल्लाह चाहे। फिर उसे दूबारा फूँका जाएगा, तो क्या देखेगे कि सहसा वे खड़े देख रहे है
وَأَشْرَقَتِ الْأَرْضُ بِنُورِ رَبِّهَا وَوُضِعَ الْكِتَابُ وَجِيءَ بِالنَّبِيِّينَ وَالشُّهَدَاءِ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْحَقِّ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ69
और धरती रब के प्रकाश से जगमगा उठेगी, और किताब रखी जाएगी और नबियों और गवाहों को लाया जाएगा और लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनपर कोई ज़ुल्म न होगा
وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَا عَمِلَتْ وَهُوَ أَعْلَمُ بِمَا يَفْعَلُونَ70
और प्रत्येक व्यक्ति को उसका किया भरपूर दिया जाएगा। और वह भली-भाँति जानता है, जो कुछ वे करते है
وَسِيقَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِلَىٰ جَهَنَّمَ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰ إِذَا جَاءُوهَا فُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا أَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِنْكُمْ يَتْلُونَ عَلَيْكُمْ آيَاتِ رَبِّكُمْ وَيُنْذِرُونَكُمْ لِقَاءَ يَوْمِكُمْ هَـٰذَا ۚ قَالُوا بَلَىٰ وَلَـٰكِنْ حَقَّتْ كَلِمَةُ الْعَذَابِ عَلَى الْكَافِرِينَ71
जिन लोगों ने इनकार किया, वे गिरोह के गिरोह जहन्नम की ओर ले जाए जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेगे तो उसके द्वार खोल दिए जाएँगे और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, "क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे जो तुम्हें तुम्हारे रब की आयतें सुनाते रहे हों और तुम्हें इस दिन की मुलाक़ात से सचेत करते रहे हों?" वे कहेंगे, "क्यों नहीं (वे तो आए थे) ।" किन्तु इनकार करनेवालों पर यातना की बात सत्यापित होकर रही
قِيلَ ادْخُلُوا أَبْوَابَ جَهَنَّمَ خَالِدِينَ فِيهَا ۖ فَبِئْسَ مَثْوَى الْمُتَكَبِّرِينَ72
कहा जाएगा, "जहन्नम के द्वारों में प्रवेश करो। उसमें सदैव रहने के लिए।" तो बहुत ही बुरा ठिकाना है अहंकारियों का!
وَسِيقَ الَّذِينَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ إِلَى الْجَنَّةِ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰ إِذَا جَاءُوهَا وَفُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلَامٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلُوهَا خَالِدِينَ73
और जो लोग अपने रब का डर रखते थे, वे गिरोह के गिरोह जन्नत की ओर ले जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेंगे इस हाल में कि उसके द्वार खुले होंगे। और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, "सलाम हो तुमपर! बहुत अच्छे रहे! अतः इसमें प्रवेश करो सदैव रहने के लिए तो (उनकी ख़ुशियों का क्या हाल होगा!)
وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي صَدَقَنَا وَعْدَهُ وَأَوْرَثَنَا الْأَرْضَ نَتَبَوَّأُ مِنَ الْجَنَّةِ حَيْثُ نَشَاءُ ۖ فَنِعْمَ أَجْرُ الْعَامِلِينَ74
और वे कहेंगे, "प्रशंसा अल्लाह के लिए, जिसने हमारे साथ अपना वादा सच कर दिखाया, और हमें इस भूमि का वारिस बनाया कि हम जन्नत में जहाँ चाहें वहाँ रहें-बसे।" अतः क्या ही अच्छा प्रतिदान है कर्म करनेवालों का!-