अल-आ'ला
بَلْ تُؤْثِرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا16
नहीं, बल्कि तुम तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो,
وَالْآخِرَةُ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ17
हालाँकि आख़िरत अधिक उत्तम और शेष रहनेवाली है
إِنَّ هَـٰذَا لَفِي الصُّحُفِ الْأُولَىٰ18
निस्संदेह यही बात पहले की किताबों में भी है;
صُحُفِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ19
इबराईम और मूसा की किताबों में
अल-ग़ाशिया
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ الْغَاشِيَةِ1
क्या तुम्हें उस छा जानेवाली की ख़बर पहुँची है?
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ خَاشِعَةٌ2
उस दिन कितने ही चेहरे गिरे हुए होंगे,
عَامِلَةٌ نَاصِبَةٌ3
कठिन परिश्रम में पड़े, थके-हारे
تَصْلَىٰ نَارًا حَامِيَةً4
दहकती आग में प्रवेश करेंगे
تُسْقَىٰ مِنْ عَيْنٍ آنِيَةٍ5
खौलते हुए स्रोत से पिएँगे,
لَيْسَ لَهُمْ طَعَامٌ إِلَّا مِنْ ضَرِيعٍ6
उनके लिए कोई खाना न होगा सिवाय एक प्रकार के ज़री के,
لَا يُسْمِنُ وَلَا يُغْنِي مِنْ جُوعٍ7
जो न पुष्ट करे और न भूख मिटाए
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَاعِمَةٌ8
उस दिन कितने ही चेहरे प्रफुल्लित और सौम्य होंगे,
لِسَعْيِهَا رَاضِيَةٌ9
अपने प्रयास पर प्रसन्न,
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ10
उच्च जन्नत में,
لَا تَسْمَعُ فِيهَا لَاغِيَةً11
जिसमें कोई व्यर्थ बात न सुनेंगे
فِيهَا عَيْنٌ جَارِيَةٌ12
उसमें स्रोत प्रवाहित होगा,
فِيهَا سُرُرٌ مَرْفُوعَةٌ13
उसमें ऊँची-ऊँची मसनदें होगी,
وَأَكْوَابٌ مَوْضُوعَةٌ14
प्याले ढंग से रखे होंगे,
وَنَمَارِقُ مَصْفُوفَةٌ15
क्रम से गाव तकिए लगे होंगे,
وَزَرَابِيُّ مَبْثُوثَةٌ16
और हर ओर क़ालीने बिछी होंगी
أَفَلَا يَنْظُرُونَ إِلَى الْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ17
फिर क्या वे ऊँट की ओर नहीं देखते कि कैसा बनाया गया?
وَإِلَى السَّمَاءِ كَيْفَ رُفِعَتْ18
और आकाश की ओर कि कैसा ऊँचा किया गया?
وَإِلَى الْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ19
और पहाड़ो की ओर कि कैसे खड़े किए गए?
وَإِلَى الْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ20
और धरती की ओर कि कैसी बिछाई गई?
فَذَكِّرْ إِنَّمَا أَنْتَ مُذَكِّرٌ21
अच्छा तो नसीहत करो! तुम तो बस एक नसीहत करनेवाले हो
لَسْتَ عَلَيْهِمْ بِمُصَيْطِرٍ22
तुम उनपर कोई दरोग़ा नही हो
إِلَّا مَنْ تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ23
किन्तु जिस किसी ने मुँह फेरा और इनकार किया,
فَيُعَذِّبُهُ اللَّهُ الْعَذَابَ الْأَكْبَرَ24
तो अल्लाह उसे बड़ी यातना देगा
إِنَّ إِلَيْنَا إِيَابَهُمْ25
निस्संदेह हमारी ओर ही है उनका लौटना,
ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا حِسَابَهُمْ26
फिर हमारे ही ज़िम्मे है उनका हिसाब लेना