अन-निसा
وَالَّذِينَ يُنْفِقُونَ أَمْوَالَهُمْ رِئَاءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْآخِرِ ۗ وَمَنْ يَكُنِ الشَّيْطَانُ لَهُ قَرِينًا فَسَاءَ قَرِينًا38
वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखते है, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है
وَمَاذَا عَلَيْهِمْ لَوْ آمَنُوا بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ وَأَنْفَقُوا مِمَّا رَزَقَهُمُ اللَّهُ ۚ وَكَانَ اللَّهُ بِهِمْ عَلِيمًا39
उनका बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते है? अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है
إِنَّ اللَّهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ ۖ وَإِنْ تَكُ حَسَنَةً يُضَاعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَدُنْهُ أَجْرًا عَظِيمًا40
निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा
فَكَيْفَ إِذَا جِئْنَا مِنْ كُلِّ أُمَّةٍ بِشَهِيدٍ وَجِئْنَا بِكَ عَلَىٰ هَـٰؤُلَاءِ شَهِيدًا41
फिर क्या हाल होगा जब हम प्रत्येक समुदाय में से एक गवाह लाएँगे और स्वयं तुम्हें इन लोगों के मुक़ाबले में गवाह बनाकर पेश करेंगे?
يَوْمَئِذٍ يَوَدُّ الَّذِينَ كَفَرُوا وَعَصَوُا الرَّسُولَ لَوْ تُسَوَّىٰ بِهِمُ الْأَرْضُ وَلَا يَكْتُمُونَ اللَّهَ حَدِيثًا42
उस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया होगा और रसूल की अवज्ञा की होगी, यही चाहेंगे कि किसी तरह धरती में समोकर उसे बराबर कर दिया जाए। वे अल्लाह से कोई बात भी न छिपा सकेंगे
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَقْرَبُوا الصَّلَاةَ وَأَنْتُمْ سُكَارَىٰ حَتَّىٰ تَعْلَمُوا مَا تَقُولُونَ وَلَا جُنُبًا إِلَّا عَابِرِي سَبِيلٍ حَتَّىٰ تَغْتَسِلُوا ۚ وَإِنْ كُنْتُمْ مَرْضَىٰ أَوْ عَلَىٰ سَفَرٍ أَوْ جَاءَ أَحَدٌ مِنْكُمْ مِنَ الْغَائِطِ أَوْ لَامَسْتُمُ النِّسَاءَ فَلَمْ تَجِدُوا مَاءً فَتَيَمَّمُوا صَعِيدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوا بِوُجُوهِكُمْ وَأَيْدِيكُمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَفُوًّا غَفُورًا43
ऐ ईमान लानेवालो! नशे की दशा में नमाज़ में व्यस्त न हो, जब तक कि तुम यह न जानने लगो कि तुम क्या कह रहे हो। और इसी प्रकार नापाकी की दशा में भी (नमाज़ में व्यस्त न हो), जब तक कि तुम स्नान न कर लो, सिवाय इसके कि तुम सफ़र में हो। और यदि तुम बीमार हो या सफ़र में हो, या तुममें से कोई शौच करके आए या तुमने स्त्रियों को हाथ लगाया हो, फिर तुम्हें पानी न मिले, तो पाक मिट्टी से काम लो और उसपर हाथ मारकर अपने चहरे और हाथों पर मलो। निस्संदेह अल्लाह नर्मी से काम लेनेवाला, अत्यन्त क्षमाशील है
أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ أُوتُوا نَصِيبًا مِنَ الْكِتَابِ يَشْتَرُونَ الضَّلَالَةَ وَيُرِيدُونَ أَنْ تَضِلُّوا السَّبِيلَ44
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें सौभाग्य प्रदान हुआ था अर्थात किताब दी गई थी? वे पथभ्रष्टता के खरीदार बने हुए है और चाहते है कि तुम भी रास्ते से भटक जाओ