अल-आराफ़
فَإِذَا جَاءَتْهُمُ الْحَسَنَةُ قَالُوا لَنَا هَـٰذِهِ ۖ وَإِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ يَطَّيَّرُوا بِمُوسَىٰ وَمَنْ مَعَهُ ۗ أَلَا إِنَّمَا طَائِرُهُمْ عِنْدَ اللَّهِ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ131
फिर जब उन्हें अच्छी हालत पेश आती है तो कहते है, "यह तो है ही हमारे लिए।" और उन्हें बुरी हालत पेश आए तो वे उसे मूसा और उसके साथियों की नहूसत (अशकुन) ठहराएँ। सुन लो, उसकी नहूसत तो अल्लाह ही के पास है, परन्तु उनमें से अधिकतर लोग जानते नहीं
وَقَالُوا مَهْمَا تَأْتِنَا بِهِ مِنْ آيَةٍ لِتَسْحَرَنَا بِهَا فَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِينَ132
वे बोले, "तू हमपर जादू करने के लिए चाहे कोई भी निशानी हमारे पास ले आए, हम तुझपर ईमान लानेवाले नहीं।"
فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ الطُّوفَانَ وَالْجَرَادَ وَالْقُمَّلَ وَالضَّفَادِعَ وَالدَّمَ آيَاتٍ مُفَصَّلَاتٍ فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُجْرِمِينَ133
अन्ततः हमने उनपर तूफ़ान और टिड्डियों और छोटे कीड़े और मेंढक और रक्त, कितनी ही निशानियाँ अलग-अलग भेजी, किन्तु वे घमंड ही करते रहे। वे थे ही अपराधी लोग
وَلَمَّا وَقَعَ عَلَيْهِمُ الرِّجْزُ قَالُوا يَا مُوسَى ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ ۖ لَئِنْ كَشَفْتَ عَنَّا الرِّجْزَ لَنُؤْمِنَنَّ لَكَ وَلَنُرْسِلَنَّ مَعَكَ بَنِي إِسْرَائِيلَ134
जब कभी उनपर यातना आ पड़ती, कहते है, "ऐ मूसा, हमारे लिए अपने रब से प्रार्थना करो, उस प्रतिज्ञा के आधार पर जो उसने तुमसे कर रखी है। तुमने यदि हमपर से यह यातना हटा दी, तो हम अवश्य ही तुमपर ईमान ले आएँगे और इसराईल की सन्तान को तुम्हारे साथ जाने देंगे।"
فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الرِّجْزَ إِلَىٰ أَجَلٍ هُمْ بَالِغُوهُ إِذَا هُمْ يَنْكُثُونَ135
किन्तु जब हम उनपर से यातना को एक नियत समय के लिए जिस तक वे पहुँचनेवाले ही थे, हटा लेते तो क्या देखते कि वे वचन-भंग करने लग गए
فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَأَغْرَقْنَاهُمْ فِي الْيَمِّ بِأَنَّهُمْ كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا وَكَانُوا عَنْهَا غَافِلِينَ136
फिर हमने उनसे बदला लिया और उन्हें गहरे पानी में डूबो दिया, क्योंकि उन्होंने हमारी निशानियों को ग़लत समझा और उनसे ग़ाफिल हो गए
وَأَوْرَثْنَا الْقَوْمَ الَّذِينَ كَانُوا يُسْتَضْعَفُونَ مَشَارِقَ الْأَرْضِ وَمَغَارِبَهَا الَّتِي بَارَكْنَا فِيهَا ۖ وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ الْحُسْنَىٰ عَلَىٰ بَنِي إِسْرَائِيلَ بِمَا صَبَرُوا ۖ وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ يَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهُ وَمَا كَانُوا يَعْرِشُونَ137
और जो लोग कमज़ोर पाए जाते थे, उन्हें हमने उस भू-भाग के पूरब के हिस्सों और पश्चिम के हिस्सों का उत्तराधिकारी बना दिया, जिसे हमने बरकत दी थी। और तुम्हारे रब का अच्छा वादा इसराईल की सन्तान के हक़ में पूरा हुआ, क्योंकि उन्होंने धैर्य से काम लिया और फ़िरऔन और उसकी क़ौम का वह सब कुछ हमने विनष्ट कर दिया, जिसे वे बनाते और ऊँचा उठाते थे