ग़ाफिर
قَالُوا أَوَلَمْ تَكُ تَأْتِيكُمْ رُسُلُكُمْ بِالْبَيِّنَاتِ ۖ قَالُوا بَلَىٰ ۚ قَالُوا فَادْعُوا ۗ وَمَا دُعَاءُ الْكَافِرِينَ إِلَّا فِي ضَلَالٍ50
वे कहेंगे, "क्या तुम्हारे पास तुम्हारे रसूल खुले प्रमाण लेकर नहीं आते रहे?" कहेंगे, "क्यों नहीं!" वे कहेंगे, "फिर तो तुम्ही पुकारो।" किन्तु इनकार करनेवालों की पुकार तो बस भटककर ही रह जाती है
إِنَّا لَنَنْصُرُ رُسُلَنَا وَالَّذِينَ آمَنُوا فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَيَوْمَ يَقُومُ الْأَشْهَادُ51
निश्चय ही हम अपने रसूलों की और उन लोगों की जो ईमान लाए अवश्य सहायता करते है, सांसारिक जीवन में भी और उस दिन भी, जबकि गवाह खड़े होंगे
يَوْمَ لَا يَنْفَعُ الظَّالِمِينَ مَعْذِرَتُهُمْ ۖ وَلَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوءُ الدَّارِ52
जिस दिन ज़ालिमों को उनका उज्र (सफ़ाई पेश करना) कुछ भी लाभ न पहुँचाएगा, बल्कि उनके लिए तो लानत है और उनके लिए बुरा घर है
وَلَقَدْ آتَيْنَا مُوسَى الْهُدَىٰ وَأَوْرَثْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ الْكِتَابَ53
मूसा को भी हम मार्ग दिखा चुके है, और इसराईल की सन्तान को हमने किताब का उत्ताराधिकारी बनाया,
هُدًى وَذِكْرَىٰ لِأُولِي الْأَلْبَابِ54
जो बुद्धि और समझवालों के लिए मार्गदर्शन और अनुस्मृति थी
فَاصْبِرْ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنْبِكَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ بِالْعَشِيِّ وَالْإِبْكَارِ55
अतः धैर्य से काम लो। निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और अपने क़सूर की क्षमा चाहो और संध्या समय और प्रातः की घड़ियों में अपने रब की प्रशंसा की तसबीह करो
إِنَّ الَّذِينَ يُجَادِلُونَ فِي آيَاتِ اللَّهِ بِغَيْرِ سُلْطَانٍ أَتَاهُمْ ۙ إِنْ فِي صُدُورِهِمْ إِلَّا كِبْرٌ مَا هُمْ بِبَالِغِيهِ ۚ فَاسْتَعِذْ بِاللَّهِ ۖ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْبَصِيرُ56
जो लोग बिना किसी ऐसे प्रमाण के जो उनके पास आया हो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है उनके सीनों में केवल अहंकार है जिसतक वे पहुँचनेवाले नहीं। अतः अल्लाह की शरण लो। निश्चय ही वह सुनता, देखता है
لَخَلْقُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ أَكْبَرُ مِنْ خَلْقِ النَّاسِ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ57
निस्संदेह, आकाशों और धरती को पैदा करना लोगों को पैदा करने की अपेक्षा अधिक बड़ा (कठिन) काम है। किन्तु अधिकतर लोग नहीं जानते
وَمَا يَسْتَوِي الْأَعْمَىٰ وَالْبَصِيرُ وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَلَا الْمُسِيءُ ۚ قَلِيلًا مَا تَتَذَكَّرُونَ58
अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं होते, और वे लोग भी परस्पर बराबर नहीं होते जिन्होंने ईमान लाकर अच्छे कर्म किए, और न बुरे कर्म करनेवाले ही परस्पर बराबर हो सकते है। तुम होश से काम थोड़े ही लेते हो!