अत-तौबा
وَالسَّابِقُونَ الْأَوَّلُونَ مِنَ الْمُهَاجِرِينَ وَالْأَنْصَارِ وَالَّذِينَ اتَّبَعُوهُمْ بِإِحْسَانٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا عَنْهُ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي تَحْتَهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا ۚ ذَٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ100
सबसे पहले आगे बढ़नेवाले मुहाजिर और अनसार और जिन्होंने भली प्रकार उनका अनुसरण किया, अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। और उसने उनके लिए ऐसे बाग़ तैयार कर रखे है, जिनके नीचे नहरें बह रही है, वे उनमें सदैव रहेंगे। यही बड़ी सफलता है
وَمِمَّنْ حَوْلَكُمْ مِنَ الْأَعْرَابِ مُنَافِقُونَ ۖ وَمِنْ أَهْلِ الْمَدِينَةِ ۖ مَرَدُوا عَلَى النِّفَاقِ لَا تَعْلَمُهُمْ ۖ نَحْنُ نَعْلَمُهُمْ ۚ سَنُعَذِّبُهُمْ مَرَّتَيْنِ ثُمَّ يُرَدُّونَ إِلَىٰ عَذَابٍ عَظِيمٍ101
और तुम्हारे आस-पास के बद्दुनओं में और मदीनावालों में कुछ ऐसे कपटाचारी है जो कपट-नीति पर जमें हुए है। उनको तुम नहीं जानते, हम उन्हें भली-भाँति जानते है। शीघ्र ही हम उन्हें दो बार यातना देंगे। फिर वे एक बड़ी यातना की ओर लौटाए जाएँगे
وَآخَرُونَ اعْتَرَفُوا بِذُنُوبِهِمْ خَلَطُوا عَمَلًا صَالِحًا وَآخَرَ سَيِّئًا عَسَى اللَّهُ أَنْ يَتُوبَ عَلَيْهِمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ102
और दूसरे कुछ लोग है जिन्होंने अपने गुनाहों का इक़रार किया। उन्होंने मिले-जुले कर्म किए, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। आशा है कि अल्लाह की कृपा-स्पष्ट उनपर हो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है
خُذْ مِنْ أَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيهِمْ بِهَا وَصَلِّ عَلَيْهِمْ ۖ إِنَّ صَلَاتَكَ سَكَنٌ لَهُمْ ۗ وَاللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ103
तुम उनके माल में से दान लेकर उन्हें शुद्ध करो और उनके द्वारा उन (की आत्मा) को विकसित करो और उनके लिए दुआ करो। निस्संदेह तुम्हारी दुआ उनके लिए सर्वथा परितोष है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है
أَلَمْ يَعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ هُوَ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَأْخُذُ الصَّدَقَاتِ وَأَنَّ اللَّهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ104
क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह ही अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और सदक़े लेता है और यह कि अल्लाह ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है
وَقُلِ اعْمَلُوا فَسَيَرَى اللَّهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُولُهُ وَالْمُؤْمِنُونَ ۖ وَسَتُرَدُّونَ إِلَىٰ عَالِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ105
कह दो, "कर्म किए जाओ। अभी अल्लाह और उसका रसूल और ईमानवाले तुम्हारे कर्म को देखेंगे। फिर तुम उसकी ओर पलटोगे, जो छिपे और खुले को जानता है। फिर जो कुछ तम करते रहे हो, वह सब तुम्हें बता देगा।"
وَآخَرُونَ مُرْجَوْنَ لِأَمْرِ اللَّهِ إِمَّا يُعَذِّبُهُمْ وَإِمَّا يَتُوبُ عَلَيْهِمْ ۗ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ106
और कुछ दूसरे लोग भी है जिनका मामला अल्लाह का हुक्म आने तक स्थगित है, चाहे वह उन्हें यातना दे या उनकी तौबा क़बूल करे। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है