अत-तिन
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ1
साक्षी है तीन और ज़ैतून
وَطُورِ سِينِينَ2
और तूर सीनीन,
وَهَـٰذَا الْبَلَدِ الْأَمِينِ3
और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का)
لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ فِي أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ4
निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया
ثُمَّ رَدَدْنَاهُ أَسْفَلَ سَافِلِينَ5
फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ6
सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है
فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِالدِّينِ7
अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए?
أَلَيْسَ اللَّهُ بِأَحْكَمِ الْحَاكِمِينَ8
क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं?
अल-अलक़
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ1
पढ़ो, अपने रब के नाम के साथ जिसने पैदा किया,
خَلَقَ الْإِنْسَانَ مِنْ عَلَقٍ2
पैदा किया मनुष्य को जमे हुए ख़ून के एक लोथड़े से
اقْرَأْ وَرَبُّكَ الْأَكْرَمُ3
पढ़ो, हाल यह है कि तुम्हारा रब बड़ा ही उदार है,
الَّذِي عَلَّمَ بِالْقَلَمِ4
जिसने क़लम के द्वारा शिक्षा दी,
عَلَّمَ الْإِنْسَانَ مَا لَمْ يَعْلَمْ5
मनुष्य को वह ज्ञान प्रदान किया जिस वह न जानता था
كَلَّا إِنَّ الْإِنْسَانَ لَيَطْغَىٰ6
कदापि नहीं, मनुष्य सरकशी करता है,
أَنْ رَآهُ اسْتَغْنَىٰ7
इसलिए कि वह अपने आपको आत्मनिर्भर देखता है
إِنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ الرُّجْعَىٰ8
निश्चय ही तुम्हारे रब ही की ओर पलटना है
أَرَأَيْتَ الَّذِي يَنْهَىٰ9
क्या तुमने देखा उस व्यक्ति को
عَبْدًا إِذَا صَلَّىٰ10
जो एक बन्दे को रोकता है, जब वह नमाज़ अदा करता है? -
أَرَأَيْتَ إِنْ كَانَ عَلَى الْهُدَىٰ11
तुम्हारा क्या विचार है? यदि वह सीधे मार्ग पर हो,
أَوْ أَمَرَ بِالتَّقْوَىٰ12
या परहेज़गारी का हुक्म दे (उसके अच्छा होने में क्या संदेह है)
أَرَأَيْتَ إِنْ كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ13
तुम्हारा क्या विचार है? यदि उस (रोकनेवाले) ने झुठलाया और मुँह मोड़ा (तो उसके बुरा होने में क्या संदेह है) -
أَلَمْ يَعْلَمْ بِأَنَّ اللَّهَ يَرَىٰ14
क्या उसने नहीं जाना कि अल्लाह देख रहा है?
كَلَّا لَئِنْ لَمْ يَنْتَهِ لَنَسْفَعًا بِالنَّاصِيَةِ15
कदापि नहीं, यदि वह बाज़ न आया तो हम चोटी पकड़कर घसीटेंगे,
نَاصِيَةٍ كَاذِبَةٍ خَاطِئَةٍ16
झूठी, ख़ताकार चोटी
فَلْيَدْعُ نَادِيَهُ17
अब बुला ले वह अपनी मजलिस को!
سَنَدْعُ الزَّبَانِيَةَ18
हम भी बुलाए लेते है सिपाहियों को
كَلَّا لَا تُطِعْهُ وَاسْجُدْ وَاقْتَرِبْ ۩19
कदापि नहीं, उसकी बात न मानो और सजदे करते और क़रीब होते रहो