अल-इख़लास
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ1
कहो, "वह अल्लाह यकता है,
اللَّهُ الصَّمَدُ2
अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ3
न वह जनिता है और न जन्य,
وَلَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ4
और न कोई उसका समकक्ष है।"
अल-फ़लक
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ1
कहो, "मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की,
مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ2
जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से,
وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ3
और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए,
وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ4
और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से,
وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ5
और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।"
अन्नास
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ1
कहो, "मैं शरण लेता हूँ मनुष्यों के रब की
مَلِكِ النَّاسِ2
मनुष्यों के सम्राट की
إِلَـٰهِ النَّاسِ3
मनुष्यों के उपास्य की
مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ4
वसवसा डालनेवाले, खिसक जानेवाले की बुराई से
الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ5
जो मनुष्यों के सीनों में वसवसा डालता हैं
مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ6
जो जिन्नों में से भी होता हैं और मनुष्यों में से भी