क़ुरैश
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
لِإِيلَافِ قُرَيْشٍ1
कितना है क़ुरैश को लगाए और परचाए रखना,
إِيلَافِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاءِ وَالصَّيْفِ2
लगाए और परचाए रखना उन्हें जाड़े और गर्मी की यात्रा से
فَلْيَعْبُدُوا رَبَّ هَـٰذَا الْبَيْتِ3
अतः उन्हें चाहिए कि इस घर (काबा) के रब की बन्दगी करे,
الَّذِي أَطْعَمَهُمْ مِنْ جُوعٍ وَآمَنَهُمْ مِنْ خَوْفٍ4
जिसने उन्हें खिलाकर भूख से बचाया और निश्चिन्तता प्रदान करके भय से बचाया
अल-माउं
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
أَرَأَيْتَ الَّذِي يُكَذِّبُ بِالدِّينِ1
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है?
فَذَٰلِكَ الَّذِي يَدُعُّ الْيَتِيمَ2
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ3
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता
فَوَيْلٌ لِلْمُصَلِّينَ4
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,
الَّذِينَ هُمْ عَنْ صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ5
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,
الَّذِينَ هُمْ يُرَاءُونَ6
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,
وَيَمْنَعُونَ الْمَاعُونَ7
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते
अल-कौसर
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
إِنَّا أَعْطَيْنَاكَ الْكَوْثَرَ1
निश्चय ही हमने तुम्हें कौसर प्रदान किया,
فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ2
अतः तुम अपने रब ही के लिए नमाज़ पढ़ो और (उसी के दिन) क़़ुरबानी करो
إِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْأَبْتَرُ3
निस्संदेह तुम्हारा जो वैरी है वही जड़कटा है