अल-बक़रा
سَلْ بَنِي إِسْرَائِيلَ كَمْ آتَيْنَاهُمْ مِنْ آيَةٍ بَيِّنَةٍ ۗ وَمَنْ يُبَدِّلْ نِعْمَةَ اللَّهِ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْهُ فَإِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ211
इसराईल की सन्तान से पूछो, हमने उन्हें कितनी खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की। और जो अल्लाह की नेमत को इसके बाद कि वह उसे पहुँच चुकी हो बदल डाले, तो निस्संदेह अल्लाह भी कठोर दंड देनेवाला है
زُيِّنَ لِلَّذِينَ كَفَرُوا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا وَيَسْخَرُونَ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا ۘ وَالَّذِينَ اتَّقَوْا فَوْقَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ وَاللَّهُ يَرْزُقُ مَنْ يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ212
इनकार करनेवाले सांसारिक जीवन पर रीझे हुए है और ईमानवालों का उपहास करते है, जबकि जो लोग अल्लाह का डर रखते है, वे क़ियामत के दिन उनसे ऊपर होंगे। अल्लाह जिस चाहता है बेहिसाब देता है
كَانَ النَّاسُ أُمَّةً وَاحِدَةً فَبَعَثَ اللَّهُ النَّبِيِّينَ مُبَشِّرِينَ وَمُنْذِرِينَ وَأَنْزَلَ مَعَهُمُ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ لِيَحْكُمَ بَيْنَ النَّاسِ فِيمَا اخْتَلَفُوا فِيهِ ۚ وَمَا اخْتَلَفَ فِيهِ إِلَّا الَّذِينَ أُوتُوهُ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْهُمُ الْبَيِّنَاتُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۖ فَهَدَى اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا لِمَا اخْتَلَفُوا فِيهِ مِنَ الْحَقِّ بِإِذْنِهِ ۗ وَاللَّهُ يَهْدِي مَنْ يَشَاءُ إِلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ213
सारे मनुष्य एक ही समुदाय थे (उन्होंने विभेद किया) तो अल्लाह ने नबियों को भेजा, जो शुभ-सूचना देनेवाले और डरानवाले थे; और उनके साथ हक़ पर आधारित किताब उतारी, ताकि लोगों में उन बातों का जिनमें वे विभेद कर रहे है, फ़ैसला कर दे। इसमें विभेद तो बस उन्हीं लोगों ने, जिन्हें वह मिली थी, परस्पर ज़्यादती करने के लिए इसके पश्चात किया, जबकि खुली निशानियाँ उनके पास आ चुकी थी। अतः ईमानवालों को अल्लाह ने अपनी अनूज्ञा से उस सत्य के विषय में मार्गदर्शन किया, जिसमें उन्होंने विभेद किया था। अल्लाह जिसे चाहता है, सीधे मार्ग पर चलाता है
أَمْ حَسِبْتُمْ أَنْ تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ وَلَمَّا يَأْتِكُمْ مَثَلُ الَّذِينَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِكُمْ ۖ مَسَّتْهُمُ الْبَأْسَاءُ وَالضَّرَّاءُ وَزُلْزِلُوا حَتَّىٰ يَقُولَ الرَّسُولُ وَالَّذِينَ آمَنُوا مَعَهُ مَتَىٰ نَصْرُ اللَّهِ ۗ أَلَا إِنَّ نَصْرَ اللَّهِ قَرِيبٌ214
क्या तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में प्रवेश पा जाओगे, जबकि अभी तुम पर वह सब कुछ नहीं बीता है जो तुमसे पहले के लोगों पर बीत चुका? उनपर तंगियाँ और तकलीफ़े आई और उन्हें हिला मारा गया यहाँ तक कि रसूल बोल उठे और उनके साथ ईमानवाले भी कि अल्लाह की सहायता कब आएगी? जान लो! अल्लाह की सहायता निकट है
يَسْأَلُونَكَ مَاذَا يُنْفِقُونَ ۖ قُلْ مَا أَنْفَقْتُمْ مِنْ خَيْرٍ فَلِلْوَالِدَيْنِ وَالْأَقْرَبِينَ وَالْيَتَامَىٰ وَالْمَسَاكِينِ وَابْنِ السَّبِيلِ ۗ وَمَا تَفْعَلُوا مِنْ خَيْرٍ فَإِنَّ اللَّهَ بِهِ عَلِيمٌ215
वे तुमसे पूछते है, "कितना ख़र्च करें?" कहो, "(पहले यह समझ लो कि) जो माल भी तुमने ख़र्च किया है, वह तो माँ-बाप, नातेदारों और अनाथों, और मुहताजों और मुसाफ़िरों के लिए ख़र्च हुआ है। और जो भलाई भी तुम करो, निस्संदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जान लेगा।