अश-शुअरा
إِنْ هَـٰذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ137
यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ138
और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।"
فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ139
अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ140
और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ141
समूद ने रसूलों को झुठलाया,
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ142
जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ143
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ144
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ145
मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ146
क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे,
فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ147
बाग़ों और स्रोतों
وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ148
और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है?
وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ149
तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो?
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ150
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ151
और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो,
الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ152
जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।"
قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ153
उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ154
तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।"
قَالَ هَـٰذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ155
उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है
وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ156
तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।"
فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ157
किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए
فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ158
अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ159
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है