अश-शुअरा
وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ84
और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर
وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ85
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर
وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ86
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है
وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ87
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ88
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,
إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ89
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।"
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ90
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ91
और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी
وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ92
और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?
مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ93
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?"
فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ94
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ95
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ96
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,
تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ97
"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे
إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ98
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे
وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ99
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया
فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ100
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ101
और न घनिष्ट मित्र
فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ102
क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!"
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ103
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ104
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ105
नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया;
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ106
जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ107
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ108
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ109
मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ110
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।"
قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ111
उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?"