अल-वाकिया
يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَانٌ مُخَلَّدُونَ17
उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे,
بِأَكْوَابٍ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ18
प्याले और आफ़ताबे (जग) और विशुद्ध पेय से भरा हुआ पात्र लिए फिर रहे होंगे
لَا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنْزِفُونَ19
- जिस (के पीने) से न तो उन्हें सिर दर्द होगा और न उनकी बुद्धि में विकार आएगा
وَفَاكِهَةٍ مِمَّا يَتَخَيَّرُونَ20
और स्वादिष्ट॥ फल जो वे पसन्द करें;
وَلَحْمِ طَيْرٍ مِمَّا يَشْتَهُونَ21
और पक्षी का मांस जो वे चाह;
وَحُورٌ عِينٌ22
और बड़ी आँखोंवाली हूरें,
كَأَمْثَالِ اللُّؤْلُؤِ الْمَكْنُونِ23
मानो छिपाए हुए मोती हो
جَزَاءً بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ24
यह सब उसके बदले में उन्हें प्राप्त होगा जो कुछ वे करते रहे
لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا تَأْثِيمًا25
उसमें वे न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न गुनाह की बात;
إِلَّا قِيلًا سَلَامًا سَلَامًا26
सिवाय इस बात के कि "सलाम हो, सलाम हो!"
وَأَصْحَابُ الْيَمِينِ مَا أَصْحَابُ الْيَمِينِ27
रहे सौभाग्यशाली लोग, तो सौभाग्यशालियों का क्या कहना!
فِي سِدْرٍ مَخْضُودٍ28
वे वहाँ होंगे जहाँ बिन काँटों के बेर होंगे;
وَطَلْحٍ مَنْضُودٍ29
और गुच्छेदार केले;
وَظِلٍّ مَمْدُودٍ30
दूर तक फैली हुई छाँव;
وَمَاءٍ مَسْكُوبٍ31
बहता हुआ पानी;
وَفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ32
बहुत-सा स्वादिष्ट; फल,
لَا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ33
जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी
وَفُرُشٍ مَرْفُوعَةٍ34
उच्चकोटि के बिछौने होंगे;
إِنَّا أَنْشَأْنَاهُنَّ إِنْشَاءً35
(और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया
فَجَعَلْنَاهُنَّ أَبْكَارًا36
और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया;
عُرُبًا أَتْرَابًا37
प्रेम दर्शानेवाली और समायु;
لِأَصْحَابِ الْيَمِينِ38
सौभाग्यशाली लोगों के लिए;
ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ39
वे अगलों में से भी अधिक होगे
وَثُلَّةٌ مِنَ الْآخِرِينَ40
और पिछलों में से भी अधिक होंगे
وَأَصْحَابُ الشِّمَالِ مَا أَصْحَابُ الشِّمَالِ41
रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग!
فِي سَمُومٍ وَحَمِيمٍ42
गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे;
وَظِلٍّ مِنْ يَحْمُومٍ43
और काले धुएँ की छाँव में,
لَا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ44
जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद
إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ45
वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे;
وَكَانُوا يُصِرُّونَ عَلَى الْحِنْثِ الْعَظِيمِ46
और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे
وَكَانُوا يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ47
कहते थे, "क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे?
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ48
"और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
قُلْ إِنَّ الْأَوَّلِينَ وَالْآخِرِينَ49
कह दो, "निश्चय ही अगले और पिछले भी
لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ50
एक नियत समय पर इकट्ठे कर दिए जाएँगे, जिसका दिन ज्ञात और नियत है