काफ
وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ وَنَعْلَمُ مَا تُوَسْوِسُ بِهِ نَفْسُهُ ۖ وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْ حَبْلِ الْوَرِيدِ16
हमने मनुष्य को पैदा किया है और हम जानते है जो बातें उसके जी में आती है। और हम उससे उसकी गरदन की रग से भी अधिक निकट है
إِذْ يَتَلَقَّى الْمُتَلَقِّيَانِ عَنِ الْيَمِينِ وَعَنِ الشِّمَالِ قَعِيدٌ17
जब दो प्राप्त करनेवाले (फ़रिशते) प्राप्त कर रहे होते है, दाएँ से और बाएँ से वे लगे बैठे होते है
مَا يَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ إِلَّا لَدَيْهِ رَقِيبٌ عَتِيدٌ18
कोई बात उसने कही नहीं कि उसके पास एक निरीक्षक तैयार रहता है
وَجَاءَتْ سَكْرَةُ الْمَوْتِ بِالْحَقِّ ۖ ذَٰلِكَ مَا كُنْتَ مِنْهُ تَحِيدُ19
और मौत की बेहोशी ले आई अविश्व नीय चीज़! यही वह चीज़ है जिससे तू कतराता था
وَنُفِخَ فِي الصُّورِ ۚ ذَٰلِكَ يَوْمُ الْوَعِيدِ20
और नरसिंघा फूँक दिया गया। यही है वह दिन जिसकी धमकी दी गई थी
وَجَاءَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَعَهَا سَائِقٌ وَشَهِيدٌ21
हर व्यक्ति इस दशा में आ गया कि उसके साथ एक लानेवाला है और एक गवाही देनेवाला
لَقَدْ كُنْتَ فِي غَفْلَةٍ مِنْ هَـٰذَا فَكَشَفْنَا عَنْكَ غِطَاءَكَ فَبَصَرُكَ الْيَوْمَ حَدِيدٌ22
तू इस चीज़ की ओर से ग़फ़लत में था। अब हमने तुझसे तेरा परदा हटा दिया, तो आज तेरी निगाह बड़ी तेज़ है
وَقَالَ قَرِينُهُ هَـٰذَا مَا لَدَيَّ عَتِيدٌ23
उसके साथी ने कहा, "यह है (तेरी सजा)! मेरे पास कुछ (सहायता के लिए) मौजूद नहीं।"
أَلْقِيَا فِي جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِيدٍ24
"डाल दो, डाल दो, जहन्नम में! हर अकृतज्ञ द्वेष रखने वाले,
مَنَّاعٍ لِلْخَيْرِ مُعْتَدٍ مُرِيبٍ25
भलाई से रोकनेवाले, सीमा का अतिक्रमण करनेवाले, सन्देहग्रस्त को
الَّذِي جَعَلَ مَعَ اللَّهِ إِلَـٰهًا آخَرَ فَأَلْقِيَاهُ فِي الْعَذَابِ الشَّدِيدِ26
जिसने अल्लाह के साथ किसी दूसरे को पूज्य-प्रभु ठहराया। तो डाल दो उसे कठोर यातना में।"
قَالَ قَرِينُهُ رَبَّنَا مَا أَطْغَيْتُهُ وَلَـٰكِنْ كَانَ فِي ضَلَالٍ بَعِيدٍ27
उसका साथी बोला, "ऐ हमारे रब! मैंने उसे सरकश नहीं बनाया, बल्कि वह स्वयं ही परले दरजे की गुमराही में था।"
قَالَ لَا تَخْتَصِمُوا لَدَيَّ وَقَدْ قَدَّمْتُ إِلَيْكُمْ بِالْوَعِيدِ28
कहा, "मेरे सामने मत झगड़ो। मैं तो तुम्हें पहले ही अपनी धमकी से सावधान कर चुका था। -
مَا يُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَيَّ وَمَا أَنَا بِظَلَّامٍ لِلْعَبِيدِ29
"मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार करता हूँ।"
يَوْمَ نَقُولُ لِجَهَنَّمَ هَلِ امْتَلَأْتِ وَتَقُولُ هَلْ مِنْ مَزِيدٍ30
जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, "क्या तू भर गई?" और वह कहेगी, "क्या अभी और भी कुछ है?"
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ غَيْرَ بَعِيدٍ31
और जन्नत डर रखनेवालों के लिए निकट कर दी गई, कुछ भी दूर न रही
هَـٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِيظٍ32
"यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था हर रुजू करनेवाले, बड़ी निगरानी रखनेवाले के लिए; -
مَنْ خَشِيَ الرَّحْمَـٰنَ بِالْغَيْبِ وَجَاءَ بِقَلْبٍ مُنِيبٍ33
"जो रहमान से डरा परोक्ष में और आया रुजू रहनेवाला हृदय लेकर -
ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ ۖ ذَٰلِكَ يَوْمُ الْخُلُودِ34
"प्रवेश करो उस (जन्नत) में सलामती के साथ" वह शाश्वत दिवस है
لَهُمْ مَا يَشَاءُونَ فِيهَا وَلَدَيْنَا مَزِيدٌ35
उनके लिए उसमें वह सब कुछ है जो वे चाहे और हमारे पास उससे अधिक भी है