अद-दुखान
وَأَنْ لَا تَعْلُوا عَلَى اللَّهِ ۖ إِنِّي آتِيكُمْ بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ19
और अल्लाह के मुक़ाबले में सरकशी न करो, मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ
وَإِنِّي عُذْتُ بِرَبِّي وَرَبِّكُمْ أَنْ تَرْجُمُونِ20
और मैं इससे अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले चुका हूँ कि तुम मुझ पर पथराव करके मार डालो
وَإِنْ لَمْ تُؤْمِنُوا لِي فَاعْتَزِلُونِ21
किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं मानते तो मुझसे अलग हो जाओ!"
فَدَعَا رَبَّهُ أَنَّ هَـٰؤُلَاءِ قَوْمٌ مُجْرِمُونَ22
अन्ततः उसने अपने रब को पुकारा कि "ये अपराधी लोग है।"
فَأَسْرِ بِعِبَادِي لَيْلًا إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ23
"अच्छा तुम रातों रात मेरे बन्दों को लेकर चले जाओ। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा
وَاتْرُكِ الْبَحْرَ رَهْوًا ۖ إِنَّهُمْ جُنْدٌ مُغْرَقُونَ24
और सागर को स्थिर छोड़ दो। वे तो एक सेना दल हैं, डूब जानेवाले।"
كَمْ تَرَكُوا مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ25
वे छोड़ गये कितनॆ ही बाग़ और स्रोत
وَزُرُوعٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ26
और ख़ेतियां और उत्तम आवास-
وَنَعْمَةٍ كَانُوا فِيهَا فَاكِهِينَ27
और सुख सामग्री जिनमें वे मज़े कर रहे थे।
كَذَٰلِكَ ۖ وَأَوْرَثْنَاهَا قَوْمًا آخَرِينَ28
हम ऐसा ही मामला करते है, और उन चीज़ों का वारिस हमने दूसरे लोगों को बनाया
فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاءُ وَالْأَرْضُ وَمَا كَانُوا مُنْظَرِينَ29
फिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली
وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنَ الْعَذَابِ الْمُهِينِ30
इस प्रकार हमने इसराईल की सन्तान को अपमानजनक यातना से
مِنْ فِرْعَوْنَ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَالِيًا مِنَ الْمُسْرِفِينَ31
अर्थात फ़िरऔन से छुटकारा दिया। निश्चय ही वह मर्यादाहीन लोगों में से बड़ा ही सरकश था
وَلَقَدِ اخْتَرْنَاهُمْ عَلَىٰ عِلْمٍ عَلَى الْعَالَمِينَ32
और हमने (उनकी स्थिति को) जानते हुए उन्हें सारे संसारवालों के मुक़ाबले मं चुन लिया
وَآتَيْنَاهُمْ مِنَ الْآيَاتِ مَا فِيهِ بَلَاءٌ مُبِينٌ33
और हमने उन्हें निशानियों के द्वारा वह चीज़ दी जिसमें स्पष्ट परीक्षा थी
إِنَّ هَـٰؤُلَاءِ لَيَقُولُونَ34
ये लोग बड़ी दृढ़तापूर्वक कहते है,
إِنْ هِيَ إِلَّا مَوْتَتُنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُنْشَرِينَ35
"बस यह हमारी पहली मृत्यु ही है, हम दोबारा उठाए जानेवाले नहीं हैं
فَأْتُوا بِآبَائِنَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ36
तो ले आओ हमारे बाप-दादा को, यदि तुम सच्चे हो!"
أَهُمْ خَيْرٌ أَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ وَالَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۚ أَهْلَكْنَاهُمْ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا مُجْرِمِينَ37
क्या वे अच्छे है या तुब्बा की क़ौम या वे लोग जो उनसे पहले गुज़र चुके है? हमने उन्हें विनष्ट कर दिया, निश्चय ही वे अपराधी थे
وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَاعِبِينَ38
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है उन्हें खेल नहीं बनाया
مَا خَلَقْنَاهُمَا إِلَّا بِالْحَقِّ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ39
हमने उन्हें हक़ के साथ पैदा किया, किन्तु उनमें से अधिककर लोग जानते नहीं