अस-साफ्फ़ात
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ77
और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ78
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ79
कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ80
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ81
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ82
फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।
وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ83
और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।
إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ84
याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ85
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?
أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ86
क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?
فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ87
आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?"
فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ88
फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली
فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ89
और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।"
فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ90
अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर
فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ91
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं?
مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ92
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?"
فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ93
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा
فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ94
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए
قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ95
उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ96
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"
قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ97
वे बोले, "उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!"
فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ98
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया
وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ99
उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ100
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।"
فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ101
तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी
فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ102
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, "ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?" उसने कहा, "ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।"