आले-इमरान
فَانْقَلَبُوا بِنِعْمَةٍ مِنَ اللَّهِ وَفَضْلٍ لَمْ يَمْسَسْهُمْ سُوءٌ وَاتَّبَعُوا رِضْوَانَ اللَّهِ ۗ وَاللَّهُ ذُو فَضْلٍ عَظِيمٍ174
तो वे अल्लाह को ओर से प्राप्त होनेवाली नेमत और उदार कृपा के साथ लौटे। उन्हें कोई तकलीफ़ छू भी नहीं सकी और वे अल्लाह की इच्छा पर चले भी, और अल्लाह बड़ी ही उदार कृपावाला है
إِنَّمَا ذَٰلِكُمُ الشَّيْطَانُ يُخَوِّفُ أَوْلِيَاءَهُ فَلَا تَخَافُوهُمْ وَخَافُونِ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ175
वह तो शैतान है जो अपने मित्रों को डराता है। अतः तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझी से डरो, यदि तुम ईमानवाले हो
وَلَا يَحْزُنْكَ الَّذِينَ يُسَارِعُونَ فِي الْكُفْرِ ۚ إِنَّهُمْ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا ۗ يُرِيدُ اللَّهُ أَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِي الْآخِرَةِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ176
जो लोग अधर्म और इनकार में जल्दी दिखाते है, उनके कारण तुम दुखी न हो। वे अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। अल्लाह चाहता है कि उनके लिए आख़िरत में कोई हिस्सा न रखे, उनके लिए तो बड़ी यातना है
إِنَّ الَّذِينَ اشْتَرَوُا الْكُفْرَ بِالْإِيمَانِ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ177
जो लोग ईमान की क़ीमत पर इनकार और अधर्म के ग्राहक हुए, वे अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते, उनके लिए तो दुखद यातना है
وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ خَيْرٌ لِأَنْفُسِهِمْ ۚ إِنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ لِيَزْدَادُوا إِثْمًا ۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ مُهِينٌ178
और यह ढ़ील जो हम उन्हें दिए जाते है, इसे अधर्मी लोग अपने लिए अच्छा न समझे। यह ढील तो हम उन्हें सिर्फ़ इसलिए दे रहे है कि वे गुनाहों में और अधिक बढ़ जाएँ, और उनके लिए तो अत्यन्त अपमानजनक यातना है
مَا كَانَ اللَّهُ لِيَذَرَ الْمُؤْمِنِينَ عَلَىٰ مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ حَتَّىٰ يَمِيزَ الْخَبِيثَ مِنَ الطَّيِّبِ ۗ وَمَا كَانَ اللَّهُ لِيُطْلِعَكُمْ عَلَى الْغَيْبِ وَلَـٰكِنَّ اللَّهَ يَجْتَبِي مِنْ رُسُلِهِ مَنْ يَشَاءُ ۖ فَآمِنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ ۚ وَإِنْ تُؤْمِنُوا وَتَتَّقُوا فَلَكُمْ أَجْرٌ عَظِيمٌ179
अल्लाह ईमानवालों को इस दशा में नहीं रहने देगा, जिसमें तुम हो। यह तो उस समय तक की बात है जबतक कि वह अपवित्र को पवित्र से पृथक नहीं कर देता। और अल्लाह ऐसा नहीं है कि वह तुम्हें परोक्ष की सूचना दे दे। किन्तु अल्लाह इस काम के लिए जिसको चाहता है चुन लेता है, और वे उसके रसूल होते है। अतः अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ। और यदि तुम ईमान लाओगे और (अल्लाह का) डर रखोगे तो तुमको बड़ा प्रतिदान मिलेगा
وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ يَبْخَلُونَ بِمَا آتَاهُمُ اللَّهُ مِنْ فَضْلِهِ هُوَ خَيْرًا لَهُمْ ۖ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَهُمْ ۖ سَيُطَوَّقُونَ مَا بَخِلُوا بِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ وَلِلَّهِ مِيرَاثُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۗ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ180
जो लोग उस चीज़ में कृपणता से काम लेते है, जो अल्लाह ने अपनी उदार कृपा से उन्हें प्रदान की है, वे यह न समझे कि यह उनके हित में अच्छा है, बल्कि यह उनके लिए बुरा है। जिस चीज़ में उन्होंने कृपणता से काम लिया होगा, वही आगे कियामत के दिन उनके गले का तौक़ बन जाएगा। और ये आकाश और धरती अंत में अल्लाह ही के लिए रह जाएँगे। तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है