अज़-ज़ुख़रुफ़
إِنَّ الْمُجْرِمِينَ فِي عَذَابِ جَهَنَّمَ خَالِدُونَ74
निस्संदेह अपराधी लोग सदैव जहन्नम की यातना में रहेंगे
لَا يُفَتَّرُ عَنْهُمْ وَهُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ75
वह (यातना) कभी उनपर से हल्की न होगी और वे उसी में निराश पड़े रहेंगे
وَمَا ظَلَمْنَاهُمْ وَلَـٰكِنْ كَانُوا هُمُ الظَّالِمِينَ76
हमने उनपर कोई ज़ुल्म नहीं किया, परन्तु वे खुद ही ज़ालिम थे
وَنَادَوْا يَا مَالِكُ لِيَقْضِ عَلَيْنَا رَبُّكَ ۖ قَالَ إِنَّكُمْ مَاكِثُونَ77
वे पुकारेंगे, "ऐ मालिक! तुम्हारा रब हमारा काम ही तमाम कर दे!" वह कहेगा, "तुम्हें तो इसी दशा में रहना है।"
لَقَدْ جِئْنَاكُمْ بِالْحَقِّ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَكُمْ لِلْحَقِّ كَارِهُونَ78
"निश्चय ही हम तुम्हारे पास सत्य लेकर आए है, किन्तु तुममें से अधिकतर लोगों को सत्य प्रिय नहीं
أَمْ أَبْرَمُوا أَمْرًا فَإِنَّا مُبْرِمُونَ79
(क्या उन्होंने कुछ निश्चय नहीं किया है) या उन्होंने किसी बात का निश्चय कर लिया है? अच्छा तो हमने भी निश्चय कर लिया है
أَمْ يَحْسَبُونَ أَنَّا لَا نَسْمَعُ سِرَّهُمْ وَنَجْوَاهُمْ ۚ بَلَىٰ وَرُسُلُنَا لَدَيْهِمْ يَكْتُبُونَ80
या वे समझते है कि हम उनकी छिपी बात और उनकी कानाफूसी को सुनते नही? क्यों नहीं, और हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनके समीप हैं, वे लिखते रहते है।"
قُلْ إِنْ كَانَ لِلرَّحْمَـٰنِ وَلَدٌ فَأَنَا أَوَّلُ الْعَابِدِينَ81
कहो, "यदि रहमान की कोई सन्तान होती तो सबसे पहले मैं (उसे) पूजता
سُبْحَانَ رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُونَ82
आकाशों और धरती का रब, सिंहासन का स्वामी, उससे महान और उच्च है जो वे बयान करते है।"
فَذَرْهُمْ يَخُوضُوا وَيَلْعَبُوا حَتَّىٰ يُلَاقُوا يَوْمَهُمُ الَّذِي يُوعَدُونَ83
अच्छा, छोड़ो उन्हें कि वे व्यर्थ की बहस में पड़े रहे और खेलों में लगे रहें। यहाँ तक कि उनकी भेंट अपने उस दिन से हो जिसका वादा उनसे किया जाता है
وَهُوَ الَّذِي فِي السَّمَاءِ إِلَـٰهٌ وَفِي الْأَرْضِ إِلَـٰهٌ ۚ وَهُوَ الْحَكِيمُ الْعَلِيمُ84
वही है जो आकाशों में भी पूज्य है और धरती में भी पूज्य है और वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है
وَتَبَارَكَ الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَعِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ85
बड़ी ही बरकतवाली है वह सत्ता, जिसके अधिकार में है आकाशों और धरती की बादशाही और जो कुछ उन दिनों के बीच है उसकी भी। और उसी के पास उस घड़ी का ज्ञान है, और उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।
وَلَا يَمْلِكُ الَّذِينَ يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ الشَّفَاعَةَ إِلَّا مَنْ شَهِدَ بِالْحَقِّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ86
और जिन्हें वे उसके और अपने बीच माध्यम ठहराकर पुकारते है, उन्हें सिफ़ारिश का कुछ भी अधिकार नहीं, बस उसे ही यह अधिकार प्राप्त, है जो हक की गवाही दे, और ऐसे लोग जानते है।-
وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَهُمْ لَيَقُولُنَّ اللَّهُ ۖ فَأَنَّىٰ يُؤْفَكُونَ87
यदि तुम उनसे पूछो कि "उन्हें किसने पैदा किया?" तो वे अवश्य कहेंगे, "अल्लाह ने।" तो फिर वे कहाँ उलटे फिर जाते है?-
وَقِيلِهِ يَا رَبِّ إِنَّ هَـٰؤُلَاءِ قَوْمٌ لَا يُؤْمِنُونَ88
और उसका कहना हो कि "ऐ मेरे रब! निश्चय ही ये वे लोग है, जो ईमान नहीं रखते थे।"
فَاصْفَحْ عَنْهُمْ وَقُلْ سَلَامٌ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ89
अच्छा तो उनसे नज़र फेर लो और कह दो, "सलाम है तुम्हें!" अन्ततः शीघ्र ही वे स्वयं जान लेंगे