अल-आराफ़
قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ121
बोले, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए;
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ122
"मूसा और हारून के रब पर।"
قَالَ فِرْعَوْنُ آمَنْتُمْ بِهِ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّ هَـٰذَا لَمَكْرٌ مَكَرْتُمُوهُ فِي الْمَدِينَةِ لِتُخْرِجُوا مِنْهَا أَهْلَهَا ۖ فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ123
फ़िरऔन बोला, "इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ, तं उसपर ईमान ले आए! यह तो एक चाल है, जो तुम लोग नगर में चले हो, ताकि उसके निवासियों को उससे निकाल दो। अच्छा, तो अब तुम्हें जल्द की मालूम हुआ जाता है!
لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ ثُمَّ لَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ124
"मैं तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशाओं से काट दूँगा; फिर तुम सबको सूली पर चढ़ाकर रहूँगा।"
قَالُوا إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ125
उन्होंने कहा, "हम तो अपने रब ही की और लौटेंगे
وَمَا تَنْقِمُ مِنَّا إِلَّا أَنْ آمَنَّا بِآيَاتِ رَبِّنَا لَمَّا جَاءَتْنَا ۚ رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ126
"और तू केबल इस क्रोध से हमें कष्ट पहुँचाने के लिए पीछे पड़ गया है कि हम अपने रब की निशानियों पर ईमान ले आए। हमारे रब! हमपर धैर्य उड़ेल दे और हमें इस दशा में उठा कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो।"
وَقَالَ الْمَلَأُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ أَتَذَرُ مُوسَىٰ وَقَوْمَهُ لِيُفْسِدُوا فِي الْأَرْضِ وَيَذَرَكَ وَآلِهَتَكَ ۚ قَالَ سَنُقَتِّلُ أَبْنَاءَهُمْ وَنَسْتَحْيِي نِسَاءَهُمْ وَإِنَّا فَوْقَهُمْ قَاهِرُونَ127
फ़िरऔन की क़ौम के सरदार कहने लगे, "क्या तुम मूसा और उसकी क़ौम को ऐसे ही छोड़ दोगे कि वे ज़मीन में बिगाड़ पैदा करें और वे तुम्हें और तुम्हारे उपास्यों को छोड़ बैठे?" उसने कहा, "हम उनके बेटों को बुरी तरह क़त्ल करेंगे और उनकी स्त्रियों को जीवित रखेंगे। निश्चय ही हमें उनपर पूर्ण अधिकार प्राप्त है।"
قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ اسْتَعِينُوا بِاللَّهِ وَاصْبِرُوا ۖ إِنَّ الْأَرْضَ لِلَّهِ يُورِثُهَا مَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ ۖ وَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِينَ128
मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, "अल्लाह से सम्बद्ध होकर सहायता प्राप्त करो और धैर्य से काम लो। धरती अल्लाह की है। वह अपने बन्दों में से जिसे चाहता है, उसका वारिस बना देता है। और अंतिम परिणाम तो डर रखनेवालों ही के लिए है।"
قَالُوا أُوذِينَا مِنْ قَبْلِ أَنْ تَأْتِيَنَا وَمِنْ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا ۚ قَالَ عَسَىٰ رَبُّكُمْ أَنْ يُهْلِكَ عَدُوَّكُمْ وَيَسْتَخْلِفَكُمْ فِي الْأَرْضِ فَيَنْظُرَ كَيْفَ تَعْمَلُونَ129
उन्होंने कहा, "तुम्हारे आने से पहले भी हम सताए गए और तुम्हारे आने के बाद भी।" उसने कहा, "निकट है कि तुम्हारा रब तुम्हारे शत्रुओं को विनष्ट कर दे और तुम्हें धरती में ख़लीफ़ा बनाए, फिर यह देखे कि तुम कैसे कर्म करते हो।"
وَلَقَدْ أَخَذْنَا آلَ فِرْعَوْنَ بِالسِّنِينَ وَنَقْصٍ مِنَ الثَّمَرَاتِ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُونَ130
और हमने फ़िरऔनियों को कई वर्ष तक अकाल और पैदावार की कमी में ग्रस्त रखा कि वे चेतें