हूद
يَقْدُمُ قَوْمَهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فَأَوْرَدَهُمُ النَّارَ ۖ وَبِئْسَ الْوِرْدُ الْمَوْرُودُ98
क़ियामत के दिन वह अपनी क़ौम के लोगों के आगे होगा - और उसने उन्हें आग में जा उतारा, और बहुत ही बुरा घाट है वह उतरने का!
وَأُتْبِعُوا فِي هَـٰذِهِ لَعْنَةً وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ ۚ بِئْسَ الرِّفْدُ الْمَرْفُودُ99
यहाँ भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी - बहुत ही बुरा पुरस्कार है यह जो किसी को दिया जाए!
ذَٰلِكَ مِنْ أَنْبَاءِ الْقُرَىٰ نَقُصُّهُ عَلَيْكَ ۖ مِنْهَا قَائِمٌ وَحَصِيدٌ100
ये बस्तियों के कुछ वृत्तान्त हैं, जो हम तुम्हें सुना रहे है। इनमें कुछ तो खड़ी है और कुछ की फ़सल कट चुकी है
وَمَا ظَلَمْنَاهُمْ وَلَـٰكِنْ ظَلَمُوا أَنْفُسَهُمْ ۖ فَمَا أَغْنَتْ عَنْهُمْ آلِهَتُهُمُ الَّتِي يَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مِنْ شَيْءٍ لَمَّا جَاءَ أَمْرُ رَبِّكَ ۖ وَمَا زَادُوهُمْ غَيْرَ تَتْبِيبٍ101
हमने उनपर अत्याचार नहीं किया, बल्कि उन्होंने स्वयं अपने आप पर अत्याचार किया। फिर जब तेरे रब का आदेश आ गया तो उसके वे पूज्य, जिन्हें वे अल्लाह से हटकर पुकारा करते थे, उनके कुछ भी काम न आ सके। उन्होंने विनाश के अतिरिक्त उनके लिए किसी और चीज़ में अभिवृद्धि नहीं की
وَكَذَٰلِكَ أَخْذُ رَبِّكَ إِذَا أَخَذَ الْقُرَىٰ وَهِيَ ظَالِمَةٌ ۚ إِنَّ أَخْذَهُ أَلِيمٌ شَدِيدٌ102
तेरे रब की पकड़ ऐसी ही होती है, जब वह किसी ज़ालिम बस्ती को पकड़ता है। निस्संदेह उसकी पकड़ बड़ी दुखद, अत्यन्त कठोर होती है
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً لِمَنْ خَافَ عَذَابَ الْآخِرَةِ ۚ ذَٰلِكَ يَوْمٌ مَجْمُوعٌ لَهُ النَّاسُ وَذَٰلِكَ يَوْمٌ مَشْهُودٌ103
निश्चय ही इसमें उस व्यक्ति के लिए एक निशानी है जो आख़िरत की यातना से डरता हो। वह एक ऐसा दिन होगा, जिसमें सारे ही लोग एकत्र किए जाएँगे और वह एक ऐसा दिन होगा, जिसमें सब कुछ आँखों के सामने होगा,
وَمَا نُؤَخِّرُهُ إِلَّا لِأَجَلٍ مَعْدُودٍ104
हम उसे केवल थोड़ी अवधि के लिए ही लग रहे है;
يَوْمَ يَأْتِ لَا تَكَلَّمُ نَفْسٌ إِلَّا بِإِذْنِهِ ۚ فَمِنْهُمْ شَقِيٌّ وَسَعِيدٌ105
जिस दिन वह आएगा, तो उसकी अनुमति के बिना कोई व्यक्ति बात तक न कर सकेगा। फिर (मानवों में) कोई तो उनमें अभागा होगा और कोई भाग्यशाली
فَأَمَّا الَّذِينَ شَقُوا فَفِي النَّارِ لَهُمْ فِيهَا زَفِيرٌ وَشَهِيقٌ106
तो जो अभागे होंगे, वे आग में होंगे; जहाँ उन्हें आर्तनाद करना और फुँकार मारना है
خَالِدِينَ فِيهَا مَا دَامَتِ السَّمَاوَاتُ وَالْأَرْضُ إِلَّا مَا شَاءَ رَبُّكَ ۚ إِنَّ رَبَّكَ فَعَّالٌ لِمَا يُرِيدُ107
वहाँ वे सदैव रहेंगे, जब तक आकाश और धरती स्थिर रहें, बात यह है कि तुम्हारे रब की इच्छा ही चलेगी। तुम्हारा रब जो चाहे करे
وَأَمَّا الَّذِينَ سُعِدُوا فَفِي الْجَنَّةِ خَالِدِينَ فِيهَا مَا دَامَتِ السَّمَاوَاتُ وَالْأَرْضُ إِلَّا مَا شَاءَ رَبُّكَ ۖ عَطَاءً غَيْرَ مَجْذُوذٍ108
रहे वे जो भाग्यशाली होंगे तो वे जन्नत में होंगे, जहाँ वे सदैव रहेंगे जब तक आकाश और धरती स्थिर रहें। बात यह है कि तुम्हारे रब की इच्छा ही चलेगी। यह एक ऐसा उपहार है, जिसका सिलसिला कभी न टूटेगा