मरियम
رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا فَاعْبُدْهُ وَاصْطَبِرْ لِعِبَادَتِهِ ۚ هَلْ تَعْلَمُ لَهُ سَمِيًّا65
आकाशों और धरती का रब है और उसका भी जो इन दोनों के मध्य है। अतः तुम उसी की बन्दगी पर जमे रहो। क्या तुम्हारे ज्ञान में उस जैसा कोई है?
وَيَقُولُ الْإِنْسَانُ أَإِذَا مَا مِتُّ لَسَوْفَ أُخْرَجُ حَيًّا66
और मनुष्य कहता है, "क्या जब मैं मर गया तो फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा?"
أَوَلَا يَذْكُرُ الْإِنْسَانُ أَنَّا خَلَقْنَاهُ مِنْ قَبْلُ وَلَمْ يَكُ شَيْئًا67
क्या मनुष्य याद नहीं करता कि हम उसे इससे पहले पैदा कर चुके है, जबकि वह कुछ भी न था?
فَوَرَبِّكَ لَنَحْشُرَنَّهُمْ وَالشَّيَاطِينَ ثُمَّ لَنُحْضِرَنَّهُمْ حَوْلَ جَهَنَّمَ جِثِيًّا68
अतः तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य उन्हें और शैतानों को भी इकट्ठा करेंगे। फिर हम उन्हें जहन्नम के चतुर्दिक इस दशा में ला उपस्थित करेंगे कि वे घुटनों के बल झुके होंगे
ثُمَّ لَنَنْزِعَنَّ مِنْ كُلِّ شِيعَةٍ أَيُّهُمْ أَشَدُّ عَلَى الرَّحْمَـٰنِ عِتِيًّا69
फिर प्रत्येक गिरोह में से हम अवश्य ही उसे छाँटकर अलग करेंगे जो उनमें से रहमान (कृपाशील प्रभु) के मुक़ाबले में सबसे बढ़कर सरकश रहा होगा
ثُمَّ لَنَحْنُ أَعْلَمُ بِالَّذِينَ هُمْ أَوْلَىٰ بِهَا صِلِيًّا70
फिर हम उन्हें भली-भाँति जानते है जो उसमें झोंके जाने के सर्वाधिक योग्य है
وَإِنْ مِنْكُمْ إِلَّا وَارِدُهَا ۚ كَانَ عَلَىٰ رَبِّكَ حَتْمًا مَقْضِيًّا71
तुममें से प्रत्येक को उसपर पहुँचना ही है। यह एक निश्चय पाई हुई बात है, जिसे पूरा करना तेरे रब के ज़िम्मे है।
ثُمَّ نُنَجِّي الَّذِينَ اتَّقَوْا وَنَذَرُ الظَّالِمِينَ فِيهَا جِثِيًّا72
फिर हम डर रखनेवालों को बचा लेंगे और ज़ालिमों को उसमें घुटनों के बल छोड़ देंगे
وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ قَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا أَيُّ الْفَرِيقَيْنِ خَيْرٌ مَقَامًا وَأَحْسَنُ نَدِيًّا73
जब उन्हें हमारी खुली हुई आयतें सुनाई जाती है तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे ईमान लानेवालों से कहते हैं, "दोनों गिरोहों में स्थान की स्पष्ट से कौन उत्तम है और कौन मजलिस की दृष्टि से अधिक अच्छा है?"
وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنْ قَرْنٍ هُمْ أَحْسَنُ أَثَاثًا وَرِئْيًا74
हालाँकि उनसे पहले हम कितनी ही नसलों को विनष्ट कर चुके है जो सामग्री और बाह्य भव्यता में इनसे कहीं अच्छी थीं!
قُلْ مَنْ كَانَ فِي الضَّلَالَةِ فَلْيَمْدُدْ لَهُ الرَّحْمَـٰنُ مَدًّا ۚ حَتَّىٰ إِذَا رَأَوْا مَا يُوعَدُونَ إِمَّا الْعَذَابَ وَإِمَّا السَّاعَةَ فَسَيَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ شَرٌّ مَكَانًا وَأَضْعَفُ جُنْدًا75
कह दो, "जो गुमराही में पड़ा हुआ है उसके प्रति तो यही चाहिए कि रहमान उसकी रस्सी ख़ूब ढीली छोड़ दे, यहाँ तक कि जब ऐसे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है - चाहे यातना हो या क़ियामत की घड़ी - तो वे उस समय जान लेंगे कि अपने स्थान की स्पष्ट से कौन निकृष्ट और जत्थे की दृष्टि से अधिक कमजोर है।"
وَيَزِيدُ اللَّهُ الَّذِينَ اهْتَدَوْا هُدًى ۗ وَالْبَاقِيَاتُ الصَّالِحَاتُ خَيْرٌ عِنْدَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَخَيْرٌ مَرَدًّا76
और जिन लोगों ने मार्ग पा लिया है, अल्लाह उनके मार्गदर्शन में अभिवृद्धि प्रदान करता है और शेष रहनेवाली नेकियाँ ही तुम्हारे रब के यहाँ बदले और अन्तिम परिणाम की स्पष्ट से उत्तम है