अल-अनफाल
وَإِنْ يُرِيدُوا أَنْ يَخْدَعُوكَ فَإِنَّ حَسْبَكَ اللَّهُ ۚ هُوَ الَّذِي أَيَّدَكَ بِنَصْرِهِ وَبِالْمُؤْمِنِينَ62
और यदि वे यह चाहें कि तुम्हें धोखा दें तो तुम्हारे लिए अल्लाह काफ़ी है। वही तो है जिसने तुम्हें अपनी सहायता से और मोमिनों के द्वारा शक्ति प्रदान की
وَأَلَّفَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ ۚ لَوْ أَنْفَقْتَ مَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا مَا أَلَّفْتَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ وَلَـٰكِنَّ اللَّهَ أَلَّفَ بَيْنَهُمْ ۚ إِنَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ63
और उनके दिल आपस में एक-दूसरे से जोड़ दिए। यदि तुम धरती में जो कुछ है, सब खर्च कर डालते तो भी उनके दिलों को परस्पर जोड़ न सकते, किन्तु अल्लाह ने उन्हें परस्पर जोड़ दिया। निश्चय ही वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ حَسْبُكَ اللَّهُ وَمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ64
ऐ नबी! तुम्हारे लिए अल्लाह और तुम्हारे ईमानवाले अनुयायी ही काफ़ी है
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِينَ عَلَى الْقِتَالِ ۚ إِنْ يَكُنْ مِنْكُمْ عِشْرُونَ صَابِرُونَ يَغْلِبُوا مِائَتَيْنِ ۚ وَإِنْ يَكُنْ مِنْكُمْ مِائَةٌ يَغْلِبُوا أَلْفًا مِنَ الَّذِينَ كَفَرُوا بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَا يَفْقَهُونَ65
ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुमसे से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग है
الْآنَ خَفَّفَ اللَّهُ عَنْكُمْ وَعَلِمَ أَنَّ فِيكُمْ ضَعْفًا ۚ فَإِنْ يَكُنْ مِنْكُمْ مِائَةٌ صَابِرَةٌ يَغْلِبُوا مِائَتَيْنِ ۚ وَإِنْ يَكُنْ مِنْكُمْ أَلْفٌ يَغْلِبُوا أَلْفَيْنِ بِإِذْنِ اللَّهِ ۗ وَاللَّهُ مَعَ الصَّابِرِينَ66
अब अल्लाह ने तुम्हारे बोझ हल्का कर दिया और उसे मालूम हुआ कि तुममें कुछ कमज़ोरी है। तो यदि तुम्हारे सौ आदमी जमे रहनेवाले होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी रहेंगे और यदि तुममें से ऐसे हजार होंगे तो अल्लाह के हुक्म से वे दो हज़ार पर प्रभावी रहेंगे। अल्लाह तो उन्ही लोगों के साथ है जो जमे रहते है
مَا كَانَ لِنَبِيٍّ أَنْ يَكُونَ لَهُ أَسْرَىٰ حَتَّىٰ يُثْخِنَ فِي الْأَرْضِ ۚ تُرِيدُونَ عَرَضَ الدُّنْيَا وَاللَّهُ يُرِيدُ الْآخِرَةَ ۗ وَاللَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ67
किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि उसके पास क़ैदी हो यहाँ तक की वह धरती में रक्तपात करे। तुम लोग संसार की सामग्री चाहते हो, जबकि अल्लाह आख़िरत चाहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है
لَوْلَا كِتَابٌ مِنَ اللَّهِ سَبَقَ لَمَسَّكُمْ فِيمَا أَخَذْتُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ68
यदि अल्लाह का लिखा पहले से मौजूद न होता, तो जो कुछ नीति तुमने अपनाई है उसपर तुम्हें कोई बड़ी यातना आ लेती
فَكُلُوا مِمَّا غَنِمْتُمْ حَلَالًا طَيِّبًا ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ69
अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है