यूनुस
قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَائِكُمْ مَنْ يَبْدَأُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُ ۚ قُلِ اللَّهُ يَبْدَأُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُ ۖ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ34
कहो, "क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में कोई है जो सृष्टि का आरम्भ भी करता हो, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करे?" कहो, "अल्लाह ही सृष्टि का आरम्भ करता है और वही उसकी पुनरावृति भी; आख़िर तुम कहाँ औधे हुए जाते हो?"
قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَائِكُمْ مَنْ يَهْدِي إِلَى الْحَقِّ ۚ قُلِ اللَّهُ يَهْدِي لِلْحَقِّ ۗ أَفَمَنْ يَهْدِي إِلَى الْحَقِّ أَحَقُّ أَنْ يُتَّبَعَ أَمَّنْ لَا يَهِدِّي إِلَّا أَنْ يُهْدَىٰ ۖ فَمَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ35
कहो, "क्या तुम्हारे ठहराए साझीदारों में कोई है जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे?" कहो, "अल्लाह ही सत्य के मार्ग पर चलाता है। फिर जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करता हो, वह इसका ज़्यादा हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए या वह जो स्वयं ही मार्ग न पाए जब तक कि उसे मार्ग न दिखाया जाए? फिर यह तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?"
وَمَا يَتَّبِعُ أَكْثَرُهُمْ إِلَّا ظَنًّا ۚ إِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِي مِنَ الْحَقِّ شَيْئًا ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ بِمَا يَفْعَلُونَ36
और उनमें से अधिकतर तो बस अटकल पर चलते है। निश्चय ही अटकल सत्य को कुछ भी दूर नहीं कर सकती। वे जो कुछ कर रहे हैं अल्लाह उसको भली-भाँति जानता है
وَمَا كَانَ هَـٰذَا الْقُرْآنُ أَنْ يُفْتَرَىٰ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلَـٰكِنْ تَصْدِيقَ الَّذِي بَيْنَ يَدَيْهِ وَتَفْصِيلَ الْكِتَابِ لَا رَيْبَ فِيهِ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ37
यह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह से हटकर घड लिया जाए, बल्कि यह तो जिसके समझ है, उसकी पुष्टि में है और किताब का विस्तार है, जिसमें किसी संदेह की गुंजाइश नहीं। यह सारे संसार के रब की ओर से है
أَمْ يَقُولُونَ افْتَرَاهُ ۖ قُلْ فَأْتُوا بِسُورَةٍ مِثْلِهِ وَادْعُوا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ38
(क्या उन्हें कोई खटक है) या वे कहते है, "इस व्यक्ति (पैग़म्बर) ने उसे स्वयं ही घड़ लिया है?" कहो, "यदि तुम सच्चे हो, तो इस जैसी एक सुरा ले आओ और अल्लाह से हटकर उसे बुला लो, जिसपर तुम्हारा बस चले।"
بَلْ كَذَّبُوا بِمَا لَمْ يُحِيطُوا بِعِلْمِهِ وَلَمَّا يَأْتِهِمْ تَأْوِيلُهُ ۚ كَذَٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۖ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظَّالِمِينَ39
बल्कि बात यह है कि जिस चीज़ के ज्ञान पर वे हावी न हो सके, उसे उन्होंने झुठला दिया और अभी उसका परिणाम उनके सामने नहीं आया। इसी प्रकार उन लोगों ने भी झुठलाया था, जो इनसे पहले थे। फिर देख लो उन अत्याचारियों का कैसा परिणाम हुआ!
وَمِنْهُمْ مَنْ يُؤْمِنُ بِهِ وَمِنْهُمْ مَنْ لَا يُؤْمِنُ بِهِ ۚ وَرَبُّكَ أَعْلَمُ بِالْمُفْسِدِينَ40
उनमें कुछ लोग उसपर ईमान रखनेवाले है और उनमें कुछ लोग उसपर ईमान लानेवाले नहीं है। और तुम्हारा रब बिगाड़ पैदा करनेवालों को भली-भाँति जानता है
وَإِنْ كَذَّبُوكَ فَقُلْ لِي عَمَلِي وَلَكُمْ عَمَلُكُمْ ۖ أَنْتُمْ بَرِيئُونَ مِمَّا أَعْمَلُ وَأَنَا بَرِيءٌ مِمَّا تَعْمَلُونَ41
और यदि वे तुझे झुठलाएँ तो कह दो, "मेरा कर्म मेरे लिए है और तुम्हारा कर्म तुम्हारे लिए। जो कुछ मैं करता हूँ उसकी ज़िम्मेदारी से तुम बरी हो और जो कुछ तुम करते हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।"
وَمِنْهُمْ مَنْ يَسْتَمِعُونَ إِلَيْكَ ۚ أَفَأَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ وَلَوْ كَانُوا لَا يَعْقِلُونَ42
और उनमें बहुत-से ऐसे लोग है जो तेरी ओर कान लगाते है। किन्तु क्या तू बहरों को सुनाएगा, चाहे वे समझ न रखते हों?