अल-हाक़ा
فَلَيْسَ لَهُ الْيَوْمَ هَاهُنَا حَمِيمٌ35
"अतः आज उसका यहाँ कोई घनिष्ट मित्र नहीं,
وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنْ غِسْلِينٍ36
और न ही धोवन के सिवा कोई भोजन है,
لَا يَأْكُلُهُ إِلَّا الْخَاطِئُونَ37
"उसे ख़ताकारों (अपराधियों) के अतिरिक्त कोई नहीं खाता।"
فَلَا أُقْسِمُ بِمَا تُبْصِرُونَ38
अतः कुछ नहीं! मैं क़सम खाता हूँ उन चीज़ों की जो तुम देखते
وَمَا لَا تُبْصِرُونَ39
हो और उन चीज़ों को भी जो तुम नहीं देखते,
إِنَّهُ لَقَوْلُ رَسُولٍ كَرِيمٍ40
निश्चय ही वह एक प्रतिष्ठित रसूल की लाई हुई वाणी है
وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍ ۚ قَلِيلًا مَا تُؤْمِنُونَ41
वह किसी कवि की वाणी नहीं। तुम ईमान थोड़े ही लाते हो
وَلَا بِقَوْلِ كَاهِنٍ ۚ قَلِيلًا مَا تَذَكَّرُونَ42
और न वह किसी काहिन का वाणी है। तुम होश से थोड़े ही काम लेते हो
تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ43
अवतरण है सारे संसार के रब की ओर से,
وَلَوْ تَقَوَّلَ عَلَيْنَا بَعْضَ الْأَقَاوِيلِ44
यदि वह (नबी) हमपर थोपकर कुछ बातें घड़ता,
لَأَخَذْنَا مِنْهُ بِالْيَمِينِ45
तो अवश्य हम उसका दाहिना हाथ पकड़ लेते,
ثُمَّ لَقَطَعْنَا مِنْهُ الْوَتِينَ46
फिर उसकी गर्दन की रग काट देते,
فَمَا مِنْكُمْ مِنْ أَحَدٍ عَنْهُ حَاجِزِينَ47
और तुममें से कोई भी इससे रोकनेवाला न होता
وَإِنَّهُ لَتَذْكِرَةٌ لِلْمُتَّقِينَ48
और निश्चय ही वह एक अनुस्मृति है डर रखनेवालों के लिए
وَإِنَّا لَنَعْلَمُ أَنَّ مِنْكُمْ مُكَذِّبِينَ49
और निश्चय ही हम जानते है कि तुममें कितने ही ऐसे है जो झुठलाते है
وَإِنَّهُ لَحَسْرَةٌ عَلَى الْكَافِرِينَ50
निश्चय ही वह इनकार करनेवालों के लिए सर्वथा पछतावा है,
وَإِنَّهُ لَحَقُّ الْيَقِينِ51
और वह बिल्कुल विश्वसनीय सत्य है।
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ52
अतः तुम अपने महिमावान रब के नाम की तसबीह (गुणगान) करो
अल-मआरिज
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
سَأَلَ سَائِلٌ بِعَذَابٍ وَاقِعٍ1
एक माँगनेवाले ने घटित होनेवाली यातना माँगी,
لِلْكَافِرِينَ لَيْسَ لَهُ دَافِعٌ2
जो इनकार करनेवालो के लिए होगी, उसे कोई टालनेवाला नहीं,
مِنَ اللَّهِ ذِي الْمَعَارِجِ3
वह अल्लाह की ओर से होगी, जो चढ़ाव के सोपानों का स्वामी है
تَعْرُجُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ إِلَيْهِ فِي يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُ خَمْسِينَ أَلْفَ سَنَةٍ4
फ़रिश्ते और रूह (जिबरील) उसकी ओर चढ़ते है, उस दिन में जिसकी अवधि पचास हज़ार वर्ष है
فَاصْبِرْ صَبْرًا جَمِيلًا5
अतः धैर्य से काम लो, उत्तम धैर्य
إِنَّهُمْ يَرَوْنَهُ بَعِيدًا6
वे उसे बहुत दूर देख रहे है,
وَنَرَاهُ قَرِيبًا7
किन्तु हम उसे निकट देख रहे है
يَوْمَ تَكُونُ السَّمَاءُ كَالْمُهْلِ8
जिस दिन आकाश तेल की तलछट जैसा काला हो जाएगा,
وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ9
और पर्वत रंग-बिरंगे ऊन के सदृश हो जाएँगे
وَلَا يَسْأَلُ حَمِيمٌ حَمِيمًا10
कोई मित्र किसी मित्र को न पूछेगा,