अश-शुअरा
قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ112
उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है?
إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ113
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।
وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ114
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।
إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُبِينٌ115
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।"
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ116
उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।"
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ117
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया
فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ118
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!"
فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ119
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया
ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ120
और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ121
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ122
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ123
आद ने रसूलों को झूठलाया
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ124
जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ125
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ126
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ127
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है।
أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ128
क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?
وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ129
और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है?
وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ130
और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो!
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ131
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ132
उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो
أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ133
उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से,
وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ134
और बाग़ो और स्रोतो से
إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ135
निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।"
قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ136
उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।