ग़ाफिर
وَيَا قَوْمِ مَا لِي أَدْعُوكُمْ إِلَى النَّجَاةِ وَتَدْعُونَنِي إِلَى النَّارِ41
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह मेरे साथ क्या मामला है कि मैं तो तुम्हें मुक्ति की ओर बुलाता हूँ और तुम मुझे आग की ओर बुला रहे हो?
تَدْعُونَنِي لِأَكْفُرَ بِاللَّهِ وَأُشْرِكَ بِهِ مَا لَيْسَ لِي بِهِ عِلْمٌ وَأَنَا أَدْعُوكُمْ إِلَى الْعَزِيزِ الْغَفَّارِ42
तुम मुझे बुला रहे हो कि मैं अल्लाह के साथ कुफ़्र करूँ और उसके साथ उसे साझी ठहराऊँ जिसका मुझे कोई ज्ञान नहीं, जबकि मैं तुम्हें बुला रहा हूँ उसकी ओर जो प्रभुत्वशाली, अत्यन्त क्षमाशील है
لَا جَرَمَ أَنَّمَا تَدْعُونَنِي إِلَيْهِ لَيْسَ لَهُ دَعْوَةٌ فِي الدُّنْيَا وَلَا فِي الْآخِرَةِ وَأَنَّ مَرَدَّنَا إِلَى اللَّهِ وَأَنَّ الْمُسْرِفِينَ هُمْ أَصْحَابُ النَّارِ43
निस्संदेह तुम मुझे जिसकी ओर बुलाते हो उसके लिए न संसार में आमंत्रण है और न आख़िरत (परलोक) में और यह की हमें लौटना भी अल्लाह ही की ओर है और यह कि जो मर्यादाही है, वही आग (में पड़नेवाले) वाले है
فَسَتَذْكُرُونَ مَا أَقُولُ لَكُمْ ۚ وَأُفَوِّضُ أَمْرِي إِلَى اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ بَصِيرٌ بِالْعِبَادِ44
अतः शीघ्र ही तुम याद करोगे, जो कुछ मैं तुमसे कह रहा हूँ। मैं तो अपना मामला अल्लाह को सौंपता हूँ। निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि सब बन्दों पर है
فَوَقَاهُ اللَّهُ سَيِّئَاتِ مَا مَكَرُوا ۖ وَحَاقَ بِآلِ فِرْعَوْنَ سُوءُ الْعَذَابِ45
अन्ततः जो चाल वे चल रहे थे, उसकी बुराइयों से अल्लाह ने उसे बचा लिया और फ़िरऔनियों को बुरी यातना ने आ घेरा;
النَّارُ يُعْرَضُونَ عَلَيْهَا غُدُوًّا وَعَشِيًّا ۖ وَيَوْمَ تَقُومُ السَّاعَةُ أَدْخِلُوا آلَ فِرْعَوْنَ أَشَدَّ الْعَذَابِ46
अर्थात आग ने; जिसके सामने वे प्रातःकाल और सायंकाल पेश किए जाते है। और जिन दिन क़ियामत की घड़ी घटित होगी (कहा जाएगा), "फ़िरऔन के लोगों को निकृष्ट तम यातना में प्रविष्टी कराओ!"
وَإِذْ يَتَحَاجُّونَ فِي النَّارِ فَيَقُولُ الضُّعَفَاءُ لِلَّذِينَ اسْتَكْبَرُوا إِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًا فَهَلْ أَنْتُمْ مُغْنُونَ عَنَّا نَصِيبًا مِنَ النَّارِ47
और सोचो जबकि वे आग के भीतर एक-दूसरे से झगड़ रहे होंगे, तो कमज़ोर लोग उन लोगों से, जो बड़े बनते थे, कहेंगे, "हम तो तुम्हारे पीछे चलनेवाले थे। अब क्या तुम हमपर से आग का कुछ भाग हटा सकते हो?"
قَالَ الَّذِينَ اسْتَكْبَرُوا إِنَّا كُلٌّ فِيهَا إِنَّ اللَّهَ قَدْ حَكَمَ بَيْنَ الْعِبَادِ48
वे लोग, जो बड़े बनते थे, कहेंगे, "हममें से प्रत्येक इसी में पड़ा है। निश्चय ही अल्लाह बन्दों के बीच फ़ैसला कर चुका।"
وَقَالَ الَّذِينَ فِي النَّارِ لِخَزَنَةِ جَهَنَّمَ ادْعُوا رَبَّكُمْ يُخَفِّفْ عَنَّا يَوْمًا مِنَ الْعَذَابِ49
जो लोग आग में होंगे वे जहन्नम के प्रहरियों से कहेंगे कि "अपने रब को पुकारो कि वह हमपर से एक दिन यातना कुछ हल्की कर दे!"