अन्नब'अ
إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ مَفَازًا31
निस्सदेह डर रखनेवालों के लिए एक बड़ी सफलता है,
حَدَائِقَ وَأَعْنَابًا32
बाग़ है और अंगूर,
وَكَوَاعِبَ أَتْرَابًا33
और नवयौवना समान उम्रवाली,
وَكَأْسًا دِهَاقًا34
और छलक़ता जाम
لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا كِذَّابًا35
वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न कोई झुठलाने की बात
جَزَاءً مِنْ رَبِّكَ عَطَاءً حِسَابًا36
यह तुम्हारे रब की ओर से बदला होगा, हिसाब के अनुसार प्रदत्त
رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الرَّحْمَـٰنِ ۖ لَا يَمْلِكُونَ مِنْهُ خِطَابًا37
वह आकाशों और धरती का और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है, अत्यन्त कृपाशील है, उसके सामने बात करना उनके बस में नहीं होगा
يَوْمَ يَقُومُ الرُّوحُ وَالْمَلَائِكَةُ صَفًّا ۖ لَا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ الرَّحْمَـٰنُ وَقَالَ صَوَابًا38
जिस दिन रूह और फ़रिश्ते पक्तिबद्ध खड़े होंगे, वे बोलेंगे नहीं, सिवाय उस व्यक्ति के जिसे रहमान अनुमति दे और जो ठीक बात कहे
ذَٰلِكَ الْيَوْمُ الْحَقُّ ۖ فَمَنْ شَاءَ اتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِ مَآبًا39
वह दिन सत्य है। अब जो कोई चाहे अपने रब की ओर रुज करे
إِنَّا أَنْذَرْنَاكُمْ عَذَابًا قَرِيبًا يَوْمَ يَنْظُرُ الْمَرْءُ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُ وَيَقُولُ الْكَافِرُ يَا لَيْتَنِي كُنْتُ تُرَابًا40
हमने तुम्हें निकट आ लगी यातना से सावधान कर दिया है। जिस दिन मनुष्य देख लेगा जो कुछ उसके हाथों ने आगे भेजा, और इनकार करनेवाला कहेगा, "ऐ काश! कि मैं मिट्टी होता!"
अन-नाज़िआत
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالنَّازِعَاتِ غَرْقًا1
गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके,
وَالنَّاشِطَاتِ نَشْطًا2
और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,
وَالسَّابِحَاتِ سَبْحًا3
और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें,
فَالسَّابِقَاتِ سَبْقًا4
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,
فَالْمُدَبِّرَاتِ أَمْرًا5
और मामले की तदबीर करें
يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُ6
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,
تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ7
उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ8
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
أَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ9
उनकी निगाहें झुकी होंगी
يَقُولُونَ أَإِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِي الْحَافِرَةِ10
वे कहते है, "क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे?
أَإِذَا كُنَّا عِظَامًا نَخِرَةً11
क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?"
قَالُوا تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ12
वे कहते है, "तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।"
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ13
वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
فَإِذَا هُمْ بِالسَّاهِرَةِ14
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَىٰ15
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?