अन-निसा
وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا ۖ وَعْدَ اللَّهِ حَقًّا ۚ وَمَنْ أَصْدَقُ مِنَ اللَّهِ قِيلًا122
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जल्द ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह का वादा सच्चा है, और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन हो सकता है?
لَيْسَ بِأَمَانِيِّكُمْ وَلَا أَمَانِيِّ أَهْلِ الْكِتَابِ ۗ مَنْ يَعْمَلْ سُوءًا يُجْزَ بِهِ وَلَا يَجِدْ لَهُ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا123
बात न तुम्हारी कामनाओं की है और न किताबवालों की कामनाओं की। जो भी बुराई करेगा उसे उसका फल मिलेगा और वह अल्लाह से हटकर न तो कोई मित्र पाएगा और न ही सहायक
وَمَنْ يَعْمَلْ مِنَ الصَّالِحَاتِ مِنْ ذَكَرٍ أَوْ أُنْثَىٰ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَأُولَـٰئِكَ يَدْخُلُونَ الْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُونَ نَقِيرًا124
किन्तु जो अच्छे कर्म करेगा, चाहे पुरुष हो या स्त्री, यदि वह ईमानवाला है तो ऐसे लोग जन्नत में दाख़िल होंगे। और उनका हक़ रत्ती भर भी मारा नहीं जाएगा
وَمَنْ أَحْسَنُ دِينًا مِمَّنْ أَسْلَمَ وَجْهَهُ لِلَّهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ وَاتَّبَعَ مِلَّةَ إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا ۗ وَاتَّخَذَ اللَّهُ إِبْرَاهِيمَ خَلِيلًا125
और दीन (धर्म) की स्पष्ट से उस व्यक्ति से अच्छा कौन हो सकता है, जिसने अपने आपको अल्लाह के आगे झुका दिया और इबराहीम के तरीक़े का अनुसरण करे, जो सबसे कटकर एक का हो गया था? अल्लाह ने इबराहीम को अपना घनिष्ठ मित्र बनाया था
وَلِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۚ وَكَانَ اللَّهُ بِكُلِّ شَيْءٍ مُحِيطًا126
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, वह अल्लाह ही का है और अल्लाह हर चीज़ को घेरे हुए है
وَيَسْتَفْتُونَكَ فِي النِّسَاءِ ۖ قُلِ اللَّهُ يُفْتِيكُمْ فِيهِنَّ وَمَا يُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ فِي الْكِتَابِ فِي يَتَامَى النِّسَاءِ اللَّاتِي لَا تُؤْتُونَهُنَّ مَا كُتِبَ لَهُنَّ وَتَرْغَبُونَ أَنْ تَنْكِحُوهُنَّ وَالْمُسْتَضْعَفِينَ مِنَ الْوِلْدَانِ وَأَنْ تَقُومُوا لِلْيَتَامَىٰ بِالْقِسْطِ ۚ وَمَا تَفْعَلُوا مِنْ خَيْرٍ فَإِنَّ اللَّهَ كَانَ بِهِ عَلِيمًا127
लोग तुमसे स्त्रियों के विषय में पूछते है, कहो, "अल्लाह तुम्हें उनके विषय में हुक्म देता है और जो आयतें तुमको इस किताब में पढ़कर सुनाई जाती है, वे उन स्त्रियों के, अनाथों के विषय में भी है, जिनके हक़ तुम अदा नहीं करते। और चाहते हो कि तुम उनके साथ विवाह कर लो और कमज़ोर यतीम बच्चों के बारे में भी यही आदेश है। और इस विषय में भी कि तुम अनाथों के विषय में इनसाफ़ पर क़ायम रहो। जो भलाई भी तुम करोगे तो निश्चय ही, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता होगा।"