अर-रहमान
رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ17
वह दो पूर्व का रब है और दो पश्चिम का रब भी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ18
फिर तुम दोनों अपने रब की महानताओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ19
उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَا يَبْغِيَانِ20
उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ21
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ22
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ23
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنْشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ24
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ25
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग?
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ26
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ27
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ28
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं?
يَسْأَلُهُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ29
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ30
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ31
ऐ दोनों बोझों! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ32
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنْسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَنْ تَنْفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانْفُذُوا ۚ لَا تَنْفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ33
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ34
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِنْ نَارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنْتَصِرَانِ35
अतः तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ36
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَإِذَا انْشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ37
फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ38
- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَيَوْمَئِذٍ لَا يُسْأَلُ عَنْ ذَنْبِهِ إِنْسٌ وَلَا جَانٌّ39
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ40
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?