अल-हाक़ा
وَجَاءَ فِرْعَوْنُ وَمَنْ قَبْلَهُ وَالْمُؤْتَفِكَاتُ بِالْخَاطِئَةِ9
और फ़िरऔन ने और उससे पहले के लोगों ने और तलपट हो जानेवाली बस्तियों ने यह ख़ता की
فَعَصَوْا رَسُولَ رَبِّهِمْ فَأَخَذَهُمْ أَخْذَةً رَابِيَةً10
उन्होंने अपने रब के रसूल की अवज्ञा की तो उसने उन्हें ऐसी पकड़ में ले लिया जो बड़ी कठोर थी
إِنَّا لَمَّا طَغَى الْمَاءُ حَمَلْنَاكُمْ فِي الْجَارِيَةِ11
जब पानी उमड़ आया तो हमने तुम्हें प्रवाहित नौका में सवार किया;
لِنَجْعَلَهَا لَكُمْ تَذْكِرَةً وَتَعِيَهَا أُذُنٌ وَاعِيَةٌ12
ताकि उसे तुम्हारे लिए हम शिक्षाप्रद यादगार बनाएँ और याद रखनेवाले कान उसे सुरक्षित रखें
فَإِذَا نُفِخَ فِي الصُّورِ نَفْخَةٌ وَاحِدَةٌ13
तो याद रखो जब सूर (नरसिंघा) में एक फूँक मारी जाएगी,
وَحُمِلَتِ الْأَرْضُ وَالْجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةً وَاحِدَةً14
और धरती और पहाड़ों को उठाकर एक ही बार में चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा
فَيَوْمَئِذٍ وَقَعَتِ الْوَاقِعَةُ15
तो उस दिन घटित होनेवाली घटना घटित हो जाएगी,
وَانْشَقَّتِ السَّمَاءُ فَهِيَ يَوْمَئِذٍ وَاهِيَةٌ16
और आकाश फट जाएगा और उस दिन उसका बन्धन ढीला पड़ जाएगा,
وَالْمَلَكُ عَلَىٰ أَرْجَائِهَا ۚ وَيَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ يَوْمَئِذٍ ثَمَانِيَةٌ17
और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे और उस दिन तुम्हारे रब के सिंहासन को आठ अपने ऊपर उठाए हुए होंगे
يَوْمَئِذٍ تُعْرَضُونَ لَا تَخْفَىٰ مِنْكُمْ خَافِيَةٌ18
उस दिन तुम लोग पेश किए जाओगे, तुम्हारी कोई छिपी बात छिपी न रहेगी
فَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِيَمِينِهِ فَيَقُولُ هَاؤُمُ اقْرَءُوا كِتَابِيَهْ19
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा, "लो पढ़ो, मेरा कर्म-पत्र!
إِنِّي ظَنَنْتُ أَنِّي مُلَاقٍ حِسَابِيَهْ20
"मैं तो समझता ही था कि मुझे अपना हिसाब मिलनेवाला है।"
فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ21
अतः वह सुख और आनन्दमय जीवन में होगा;
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ22
उच्च जन्नत में,
قُطُوفُهَا دَانِيَةٌ23
जिसके फलों के गुच्छे झुके होंगे
كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا أَسْلَفْتُمْ فِي الْأَيَّامِ الْخَالِيَةِ24
मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुमने बीते दिनों में किए है
وَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِشِمَالِهِ فَيَقُولُ يَا لَيْتَنِي لَمْ أُوتَ كِتَابِيَهْ25
और रहा वह क्यक्ति जिसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, वह कहेगा, "काश, मेरा कर्म-पत्र मुझे न दिया जाता
وَلَمْ أَدْرِ مَا حِسَابِيَهْ26
और मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है!
يَا لَيْتَهَا كَانَتِ الْقَاضِيَةَ27
"ऐ काश, वह (मृत्यु) समाप्त करनेवाली होती!
مَا أَغْنَىٰ عَنِّي مَالِيَهْ ۜ28
"मेरा माल मेरे कुछ काम न आया,
هَلَكَ عَنِّي سُلْطَانِيَهْ29
"मेरा ज़ोर (सत्ता) मुझसे जाता रहा!"
خُذُوهُ فَغُلُّوهُ30
"पकड़ो उसे और उसकी गरदन में तौक़ डाल दो,
ثُمَّ الْجَحِيمَ صَلُّوهُ31
"फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो,
ثُمَّ فِي سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُونَ ذِرَاعًا فَاسْلُكُوهُ32
"फिर उसे एक ऐसी जंजीर में जकड़ दो जिसकी माप सत्तर हाथ है
إِنَّهُ كَانَ لَا يُؤْمِنُ بِاللَّهِ الْعَظِيمِ33
"वह न तो महिमावान अल्लाह पर ईमान रखता था
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ34
और न मुहताज को खाना खिलाने पर उभारता था