بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ1
क्या ऐसा नहीं कि हमने तुम्हारा सीना तुम्हारे लिए खोल दिया?
وَوَضَعْنَا عَنْكَ وِزْرَكَ2
और तुमपर से तुम्हारा बोझ उतार दिया,
الَّذِي أَنْقَضَ ظَهْرَكَ3
जो तुम्हारी कमर तोड़े डाल रहा था?
وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ4
और तुम्हारे लिए तुम्हारे ज़िक्र को ऊँचा कर दिया?
فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا5
अतः निस्संदेह कठिनाई के साथ आसानी भी है
إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا6
निस्संदेह कठिनाई के साथ आसानी भी है
فَإِذَا فَرَغْتَ فَانْصَبْ7
अतः जब निवृत हो तो परिश्रम में लग जाओ,
وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَارْغَبْ8
और अपने रब से लौ लगाओ