بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالنَّازِعَاتِ غَرْقًا1
गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके,
وَالنَّاشِطَاتِ نَشْطًا2
और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,
وَالسَّابِحَاتِ سَبْحًا3
और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें,
فَالسَّابِقَاتِ سَبْقًا4
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,
فَالْمُدَبِّرَاتِ أَمْرًا5
और मामले की तदबीर करें
يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُ6
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,
تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ7
उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ8
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
أَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ9
उनकी निगाहें झुकी होंगी
يَقُولُونَ أَإِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِي الْحَافِرَةِ10
वे कहते है, "क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे?
أَإِذَا كُنَّا عِظَامًا نَخِرَةً11
क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?"
قَالُوا تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ12
वे कहते है, "तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।"
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ13
वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
فَإِذَا هُمْ بِالسَّاهِرَةِ14
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَىٰ15
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?
إِذْ نَادَاهُ رَبُّهُ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى16
जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था
اذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَىٰ17
कि "फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है
فَقُلْ هَلْ لَكَ إِلَىٰ أَنْ تَزَكَّىٰ18
"और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले,
وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ19
"और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?"
فَأَرَاهُ الْآيَةَ الْكُبْرَىٰ20
फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई,
فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ21
किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना,
ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ22
फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा,
فَحَشَرَ فَنَادَىٰ23
फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा,
فَقَالَ أَنَا رَبُّكُمُ الْأَعْلَىٰ24
"मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ!"
فَأَخَذَهُ اللَّهُ نَكَالَ الْآخِرَةِ وَالْأُولَىٰ25
अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبْرَةً لِمَنْ يَخْشَىٰ26
निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे!
أَأَنْتُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمِ السَّمَاءُ ۚ بَنَاهَا27
क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया,
رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوَّاهَا28
उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;
وَأَغْطَشَ لَيْلَهَا وَأَخْرَجَ ضُحَاهَا29
और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया
وَالْأَرْضَ بَعْدَ ذَٰلِكَ دَحَاهَا30
और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया;
أَخْرَجَ مِنْهَا مَاءَهَا وَمَرْعَاهَا31
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला
وَالْجِبَالَ أَرْسَاهَا32
और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया,
مَتَاعًا لَكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ33
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में
فَإِذَا جَاءَتِ الطَّامَّةُ الْكُبْرَىٰ34
फिर जब वह महाविपदा आएगी,
يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْإِنْسَانُ مَا سَعَىٰ35
उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِمَنْ يَرَىٰ36
और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी
فَأَمَّا مَنْ طَغَىٰ37
तो जिस किसी ने सरकशी की
وَآثَرَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا38
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी,
فَإِنَّ الْجَحِيمَ هِيَ الْمَأْوَىٰ39
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है
وَأَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوَىٰ40
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका,
فَإِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوَىٰ41
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है
يَسْأَلُونَكَ عَنِ السَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَاهَا42
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी?
فِيمَ أَنْتَ مِنْ ذِكْرَاهَا43
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध?
إِلَىٰ رَبِّكَ مُنْتَهَاهَا44
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है
إِنَّمَا أَنْتَ مُنْذِرُ مَنْ يَخْشَاهَا45
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे
كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوا إِلَّا عَشِيَّةً أَوْ ضُحَاهَا46
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है