بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالصَّافَّاتِ صَفًّا1
गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;
فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا2
फिर डाँटनेवाले;
فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا3
फिर यह ज़िक्र करनेवाले
إِنَّ إِلَـٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ4
कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।
رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ5
वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है
إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ6
हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए)
وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ7
और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए
لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ8
वे (शैतान) "मलए आला" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते है भगाने-धुतकारने के लिए।
دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ9
और उनके लिए अनवरत यातना है
إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ10
किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है
فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ11
अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया।
بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ12
बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है
وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ13
और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,
وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ14
और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है
وَقَالُوا إِنْ هَـٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ15
और कहते है, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ16
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ17
क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ18
कह दो, "हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।"
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ19
वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है
وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَـٰذَا يَوْمُ الدِّينِ20
और वे कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।"
هَـٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ21
यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो
احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ22
(कहा जाएगा) "एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे है।
مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ23
फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!"
وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ24
और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,
مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ25
"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?"
بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ26
बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए है
وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ27
वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे,
قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ28
"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)"
قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ29
वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे
وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ30
और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे
فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ31
अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मजा़ चखना ही होगा
فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ32
सो हमने तुम्हे बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।"
فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ33
अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ34
हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते है
إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ35
उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं हैं।" तो वे घमंड में आ जाते थे
وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ36
और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?"
بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ37
"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि॥ में है।
إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ38
निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। -
وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ39
"तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।"
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ40
अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
أُولَـٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ41
वही लोग है जिनके लिए जानी-बूझी रोज़ी है,
فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ42
स्वादिष्ट फल।
فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ43
और वे नेमत भरी जन्नतों
عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ44
में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे;
يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ45
उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा,
بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ46
बिलकुल साफ़, उज्जवल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु
لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ47
न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे।
وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ48
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी,
كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ49
मानो वे सुरक्षित अंडे है
فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ50
फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे
قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ51
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था;
يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ52
जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ53
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?"
قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ54
वह कहेगा, "क्या तुम झाँककर देखोगे?"
فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ55
फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा
قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ56
कहेगा, "अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे
وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ57
यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता
أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ58
है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।
إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ59
हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!"
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ60
निश्चय ही यही बड़ी सफलता है
لِمِثْلِ هَـٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ61
ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए
أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ62
क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?
إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ63
निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है
إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ64
वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है
طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ65
उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है
فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ66
तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे
ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ67
फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा
ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ68
फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी
إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ69
निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया।
فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ70
फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे
وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ71
और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है,
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ72
हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।
فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ73
तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ74
अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ75
नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले!
وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ76
हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ77
और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ78
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ79
कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ80
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ81
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ82
फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।
وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ83
और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।
إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ84
याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ85
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?
أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ86
क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?
فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ87
आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?"
فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ88
फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली
فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ89
और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।"
فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ90
अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर
فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ91
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं?
مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ92
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?"
فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ93
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा
فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ94
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए
قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ95
उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ96
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"
قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ97
वे बोले, "उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!"
فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ98
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया
وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ99
उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ100
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।"
فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ101
तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी
فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ102
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, "ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?" उसने कहा, "ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।"
فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ103
अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!)
وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ104
और हमने उसे पुकारा, "ऐ इबराहीम!
قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ105
तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।"
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ106
निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी
وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ107
और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ108
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा,
سَلَامٌ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ109
कि "सलाम है इबराहीम पर।"
كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ110
उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ111
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ112
और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी
وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَىٰ إِسْحَاقَ ۚ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ113
और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला
وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ114
और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है
وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ115
और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया
وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ116
हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे
وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ117
हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की।
وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ118
और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ119
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ120
कि "सलाम है मूसा और हारून पर!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ121
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है
إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ122
निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे
وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ123
और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था।
إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ124
याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ125
क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो;
اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ126
अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!"
فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ127
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ128
अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ129
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ130
कि "सलाम है इलयास पर!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ131
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ132
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ133
और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था
إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ134
याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,
إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ135
सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ136
फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया
وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ137
और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए
وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ138
और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ139
और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था
إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ140
याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,
فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ141
फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई
فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ142
फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।
فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ143
अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता
لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ144
तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।
فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ145
अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।
وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ146
हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था
وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ147
और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा
فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ148
फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।
فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ149
अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?
أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ150
क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?"
أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ151
सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है
وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ152
कि "अल्लाह के औलाद हुई है!" निश्चय ही वे झूठे है।
أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ153
क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?
مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ154
तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो?
أَفَلَا تَذَكَّرُونَ155
तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?
أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ156
क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?
فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ157
तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो
وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ158
उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे-
سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ159
महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। -
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ160
अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया
فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ161
अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे,
مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ162
तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते,
إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ163
सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो
وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ164
और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है
وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ165
और हम ही पंक्तिबद्ध करते है।
وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ166
और हम ही महानता बयान करते है
وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ167
वे तो कहा करते थे,
لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ168
"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती
لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ169
तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।"
فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ170
किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे
وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ171
और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है
إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ172
कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी।
وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ173
और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ174
अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो
وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ175
और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ176
क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?
فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ177
तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है!
وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ178
एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो
وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ179
और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे
سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ180
महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है!
وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ181
और सलाम है रसूलों पर;
وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ182
औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है