بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
أَرَأَيْتَ الَّذِي يُكَذِّبُ بِالدِّينِ1
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है?
فَذَٰلِكَ الَّذِي يَدُعُّ الْيَتِيمَ2
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ3
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता
فَوَيْلٌ لِلْمُصَلِّينَ4
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,
الَّذِينَ هُمْ عَنْ صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ5
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,
الَّذِينَ هُمْ يُرَاءُونَ6
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,
وَيَمْنَعُونَ الْمَاعُونَ7
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते