بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ1
कहो, "मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की,
مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ2
जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से,
وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ3
और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए,
وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ4
और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से,
وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ5
और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।"