بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الْقَارِعَةُ1
वह खड़खड़ानेवाली!
مَا الْقَارِعَةُ2
क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْقَارِعَةُ3
और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
يَوْمَ يَكُونُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوثِ4
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतंगों के सदृश हो जाएँगें,
وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوشِ5
और पहाड़ के धुन के हुए रंग-बिरंग के ऊन जैसे हो जाएँगे
فَأَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ6
फिर जिस किसी के वज़न भारी होंगे,
فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ7
वह मनभाते जीवन में रहेगा
وَأَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ8
और रहा वह व्यक्ति जिसके वज़न हलके होंगे,
فَأُمُّهُ هَاوِيَةٌ9
उसकी माँ होगी गहरा खड्ड
وَمَا أَدْرَاكَ مَا هِيَهْ10
और तुम्हें क्या मालूम कि वह क्या है?
نَارٌ حَامِيَةٌ11
आग है दहकती हुई